नई दिल्ली। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को रद्द किए गए 500 और 1000 रुपए के करोड़ों भारतीय नोटों, जो अब रद्दी हो चुके हैं, का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका में बड़ी मात्रा में किया जाएगा। जी हां, यह सच है। ऐसा संभव हुआ है भारतीय रिजर्व बैंक और वेस्टर्न इंडिया प्लाईवूड के बीच एक समझौते के कारण। इस कंपनी का केरल के कन्नूर में मुख्यालय है। इस समझौते के तहत वेस्टर्न इंडिया प्लाईवूड रद्दी हुए इन नोटों को लुग्दी में बदलकर इसे वूड पल्प के साथ मिलाकर हार्डबोर्ड बना रही है। इन हार्डबोर्ड का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका में किया जाएगा, जहां 2019 में आम चुनाव होने हैं। चुनाव प्रचार में इन आयातित हार्डबोर्ड का इस्तेमाल होर्डिंग और प्लेकार्ड के रूप में किया जाएगा।
वेस्टर्न इंडिया प्लाईवूड के जनरल मैनेजर टीएम बावा ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया कि नोटबंदी की घोषणा के कुछ समय बाद तिरुवनंतपुरम स्थित रिजर्व बैंक ने हमसे संपर्क किया। वे यह नहीं समझ पा रहे थे कि नोटों को कैसे नष्ट किया जाए। यदि वे इन्हें जलाते तो इसे वातावरण प्रदूषित होता क्योंकि ये नोट एक विशेष तरह के कागज से बनाए जाते हैं। हमनें उन्हें कुछ सैंपल भेजने के लिए कहा। उसके बाद हमारी रिसर्च और डेवलपमेंट विंग ने ऐसी पद्धति की खोज की जिसमें हम इन नोटों का इस्तेमाल कर सकते थे।
आरबीआई से प्राप्त इन नोटों को उच्च तापमान पर पकाया गया। इस लुग्दी को एक डेफीब्रेटर में रखा गया। इसके बाद इस लुग्दी को वूड पल्प के साथ मिलाकर हार्डबोर्ड तैयार किया गया। दक्षिण अफ्रीका में इन हार्डबोर्ड की बहुत मांग है, इनका वहां थोक में निर्यात किया जा रहा है। वेस्टर्न इंडिया प्लाईवूड अफ्रीका और मिडल-ईस्ट में पिछले कई सालों से निर्यात कारोबार कर रही है।
वेस्टर्न इंडिया प्लाईवूड के बावा का दावा है कि भारत में केवल उनकी कंपनी अकेली ऐसी है जिसके पास बंद हुए नोटों को रिसाइकिल करने की टेक्नोलॉजी है। नोटबंदी के बाद से अबतक कंपनी ने आरबीआई से 750 टन नोट खरीदा है। कंपनी ने आरबीआई से इन नोटों को 128 रुपए प्रति दिन के हिसाब से खरीदा है।