जटिल है मौजूदा जीएसटी का स्वरूप
जीएसटी के पीछे मूल सोच ही यह कि तमाम टैक्सों पर खत्म करके एक यूनीफॉर्म टैक्स प्रणाली लाई जाए। लेकिन अब जो जीएसटी आने वाला है, उसमें कई स्तरीय टैक्स होंगे। सीजीएसटी के तहत केंद्र के टैक्स (एक्साइज, सर्विस), एसजीएसटी के तहत राज्यों के टैक्स—अंतरराज्यीय बिक्री पर आइजीएसटी (सेंट्रल सेल्स टैक्स की जगह) और पेट्रोल-डीजल, एविएशन फ्यूल पर टैक्स अलग से होंगे। इस बहु स्तरीय जीएसटी के बाद ग्रोथ का तर्क कहां तक उचित है इस पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं।
आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है जीएसटी
भारत में टेलीफोन, शिक्षा, होटल आदि दर्जनों सेवाओं की लागत आम लोगों के खर्च का बड़ा हिस्सा है। सेवाओं को लेकर जीएसटी में हर तरह से चोट लगनी तय है। सर्विस टैक्स की दर वर्तमान में 15 फीसदी है, जिसे बढ़ाकर 18 फीसदी तो किया ही जाना है। यानी सेवाएं महंगी होंगी और अगर जीएसटी दर 25 या उससे ऊपर हुई तो सेवाओं पर टैक्स लगभग दोगुना हो जाएगा।
ऐसे समझें जीएसटी की कहानी
- वर्तमान में अभी 30 से 35 फीसदी तक टैक्स देना पड़ता है, जीएसटी से यह घटकर 18 से 25 फीसदी के बीच होगा।
- जीएसटी पारित होने से सहयोगात्मक संघवाद की अवधारणा मजबूत होगी।
- जीएसटी लागू होने के बाद उत्पादक व औद्योगिक राज्यों को होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए संवैधानिक गारंटी का प्रावधान होगा और केंद्र उसकी भरपाई करेगा।
- एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं की आवाजाही पर एक फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने वापस ले लिया है, यह राज्यों के लिए राहत वाली बात है।
- जीएसटी विधेयक पर नीतीश कुमार की जदयू व मुलायम सिंह यादव की सपा ने मोदी सरकार का समर्थन कर दिया है, जिसके बाद कांग्रेस के पास विकल्प सीमित हो गए हैं। ऐसे में संभव है कि वह भी इस विधेयक का अब समर्थन करे।
- जीएसटी लागू हो जाने के बाद पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था होगी, जिससे हर जगह चीजें एक मूल्य पर मिलेंगी। इससे मैन्युफैक्चरिंग लागत घटेगी और उद्योग जगत को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
- केंद्रीय बिक्री कर यानी सीएसटी खत्म हो जाएगा। प्रवेश शुल्क और चुंगी भी नहीं वसूली जाएगी। अलग-अलग की बजाय एक टैक्स वसूलने की वजह से चीजों के दाम सस्ते हो जाएंगे।
- जीएसटी दो स्तरों पर लगेगा, एक केंद्रीय व दूसरा राज्य के स्तर पर। एक तीसरे स्तर यानी दो राज्यों के बीच के कारोबार में भी टैक्स वसूला जाएगा, यानी जीएसटी तीन स्तरों पर लागू होगा।
- राज्यों को सबसे ज्यादा चिंता पेट्रोलियम उत्पाद को लेकर है, क्योंकि उनकी कमाई मुख्यत: इसी से होती है। अत: पेट्रोलियम को जीएसटी से बाहर रखने की व्यवस्था है।
- जीएसटी में विवाद निस्तारण के लिए एक मैकेनिज्म तैयार किए जाने की संभावना है, ताकि टैक्स विवाद न हों और घरेलू के साथ विदेशी निवेश आकर्षित हो।
भारतीय इंडस्ट्री पर कैसे प्रभाव डालेगा जीएसटी
जीएसटी लागू होने से सबसे ज्यादा फायदा इंडस्ट्री को होगा। इसे उदाहरण से समझते हैं। मल्टीप्लेक्स संचालक कंपनी पीवीआर विभिन्न राज्यों में टिकट बिक्री पर औसतन 27 फीसदी एंटरटेनमेंट टैक्स चुकाती है इसके अलावा फूड और बेवरेज रेवेन्यू पर भी टैक्स अलग से देती है। ऐसी संभावना है कि जीएसटी का रेट 18 फीसदी रहेगा। ब्रोकरेज फर्म एमके ग्लोबल और एडलवाइस के मुताबिक जीएसटी के बाद कंपनी के एबीटडा मार्जिन में 4-5 फीसदी का इजाफा होगा, जो कि पिछले चार-पांच साल से 14-18 फीसदी के बीच है। ऐसे में लोगों को मनोरंजन के लिए पहले से कम टैक्स देना होगा।
इसी तरह अन्य इंडस्ट्री भी हैं, जिन्हें जीएसटी से सीधे फायदा होगा। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार 300 रुपए खुदरा कीमत वाले सीमेंट बैग पर 66 रुपए टैक्स वसूल रही हैं, जीएसटी के बाद इसमें कमी आएगी जिससे सीमेंट की कीमतें कम होंगी और इससे घरों की कीमतों पर भी असर होगा। ऐसा ही ऑटो डिमांड के साथ होगा। छोटी कार, मोटरसाइकिल और कमर्शियल वाहनों पर टैक्स घटने से कंपनियों के साथ ही उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।