नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि दवा नियंत्रण प्राधिकार (डीजीसीआई) द्वारा मंजूरशुदा किसी दवा पर प्रतिबंध कैसे लगाया जा सकता है। जबकि सरकार का कहना था कि केवल मंजूरी के कारण उसे कार्रवाई करने से नहीं रोका जा सकता। गौरतलब कि सरकार ने 344 तय मात्रा समुच्चयों (एफडीसी) को प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। विभिन्न कंपनियों ने इस फैसले को चुनौती देते हुए 180 से अधिक याचिकाएं दायर की हैं, जिनकी सुनवाई न्यायाधीश राजीव सहाय एंडला कर रहे हैं।
डीसीजीआई की मंजूरी को नहीं किया जा सकता दरकिनार
न्यायाधीश ने पूछा, भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) की मंजूरी को पूरी तरह दरकिनार कैसे किया जा सकता है? इसके लिए आपको यह बताना होगा कि (मंजूरी के बाद) किस तरह के बदलाव हुए। वरना आज एक विशेषज्ञों समिति है कल कोई और होगी। उन्होंने कहा, आपकी रिपोर्ट से ऐसा कोई कारण सामने नहीं आता कि जो बताता हो कि डीसीजीआई की मंजूरशुदा दवा पर अब प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है।
सरकार ने कहा, फैसला सही
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि कानून के तहत सरकार डीसीजीआई की मंजूरी की अनदेखी कर सकती है और कहा कि एफडीसी या दवा को प्रतिबंधित करना होगा। मामले में 18 अप्रैल को आगे सुनवाई होगी। सरकार ने का कहना है कि यह फैसला जनहित और मरीज की सुरक्षा के खिलाफ है और दवा कंपनियों का एकमात्र उद्देश्य मुनाफा कमाना है।