नई दिल्ली। देश में ब्याज दर में कमी तथा बैंकों द्वारा खुदरा ऋण कारोबार को बढाने के आक्रामक रुख के बावजूद मकानों की कीमतों में नरमी का दबाव रहेगा पर इनके लोगों की खरीद क्षमता से बाहर होने का मुद्दा बना रहेगा। यह बात जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा ने अपनी एक रिपोर्ट में कही है।
नोमूरा ने कहा है कि रोजगार बाजार की नरमी और मकानों से चढ़ी हुई कीमतों से मांग कम बनी रह सकती है। नोमुरा ने एक शोध रिपोर्ट में कहा, कम ब्याज दर तथा बैंकों द्वारा आक्रमक तरीके से खुदरा ऋण की दिशा में उठाए जा रहे कदम अनुकूल हैं लेकिन हमारा मानना है कि मकानों की ऊंची कीमत चिंता का कारण बनी रहेगी। माना जा रहा है कि मकानों की कीमतों का झुकाव नरमी की ओर होगा।
रिपोर्ट के अनुसार मकानों की ऊंची कीमत के अलावा रीयल्टी खंड में काला धन को सीमित करने के प्रयासों से महानगरों में निवेशकों की मांग मद्धिम हुई है। रिजर्व बैंक के अनुसार आवास कीमत सूचकांक तेजी से नरम हुई है। अखिल भारतीय स्तर पर मकान कीमत मुद्रास्फीति इस साल जनवरी-मार्च अवधि में 5.2 फीसदी रही जो 2010 की पहली तिमाही से कम है। इससे पिछली तिमाही अक्तूबर-दिसंबर 2015 में एचएनआई मुद्रास्फीति 9.8 फीसदी थी।
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