नई दिल्ली। व्हाट्सएप जासूसी मामला राजनीतिक गलियारे में तूल पकड़ता जा रहा है। दरअसल, व्हाट्सएप के उस खुलासे से हड़कंप मच जिसमें उसने कहा है कि इजराइली स्पाईवेयर (जासूसी साफ्टवेयर) 'पेगासस' के जरिए कुछ अज्ञात इकाइयां वैश्विक स्तर पर जासूसी कर रही हैं। स्पाईवेयर पीगासस भारत में भी एक्टिव था और यहां के लोगों की भी जासूसी कर रहा था। बताया जा रहा है कि भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी का शिकार बने हैं।
व्हाट्सएप ने इंडियन एक्स्प्रेस को बताया है कि भारतीय पत्रकार और ह्यूमन राइट ऐक्टिविस्ट्स इस जासूसी का टार्गेट थे, हालांकि कंपनी ने ये नहीं बताया है कि इस स्पाईवेयर के जरिए कितने भारतीय लोगों की जासूसी की गई है। चूंकि पीगासस का इस्तेमाल कोई आम शख्स नहीं कर सकता है और इसे एनएसओ ग्रुप ने सरकारों के लिए बनाया गया है।
व्हाट्सएप जासूसी विवाद मामले में कांग्रेस ने मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वह इस मामले पर तत्काल संज्ञान ले और सरकार को इस बात के लिए जवाबदेह ठहराए। कांग्रेस ने कहा कि भाजपा सरकार को नोटिस जारी करना चाहिए। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि मोदी सरकार जासूसी करते पकड़ी गई है। ये बेहद चिंताजनक है, लेकिन हैरान करने वाली बात नहीं है। आखिरकार भाजपा सरकार हमारी निजता के खिलाफ लड़ी, करोड़ों रुपए का निगरानी ढांचा बनाया।
इस बीच, आईटी मंत्रालय ने इजराइली स्पाईवेयर (जासूसी साफ्टवेयर) के मुद्दे पर व्हॉट्सएप से सोमवार चार नवंबर तक जवाब देने को कहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा कि मंत्रालय ने इस बारे में व्हॉट्सएप को पत्र लिखकर अपना जवाब देने को कहा है। व्हॉट्सएप से इन आरोपों पर विस्तृत जवाब देने और बताने को कहा गया है कि इससे भारतीय प्रयोगकर्ता किस हद तक प्रभावित हुए हैं। व्हॉट्सएप ने कहा कि दुनियाभर में करीब 1,400 स्मार्टफोन को निशाना बनाने का प्रयास किया है। इनमें भारत भी शामिल है। व्हॉट्सएप ने कहा, ‘‘उसका मानना है कि समाज के करीब 100 सदस्यों को इसका निशाना बनाने का प्रयास किया गया। यह संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि और प्रभावित लोग सामने आ रहे हैं। व्हॉट्सएप प्रमुख विल कैथकार्ट ने 'वाशिंगटन पोस्ट' में 'ओप-एड' में लिखा है कि ऐसे उपकरण जो हमारी निजी जीवन की निगरानी कर सकते हैं उनका दुरुपयोग हो रहा है। इस तरह की प्रौद्योगिकी का गैर जिम्मेदार सरकारों और कंपनियों के पास पहुंचना हम सभी के लिए जोखिम पैदा करता है।
इधर मैसेंजर एप व्हॉट्सएप पर भारतीयों की जासूसी और गोपनीयता भंग करने के मामले में भी गृह मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार पर निजता के हनन के आरोप बेबुनियाद हैं। ऐसा करके सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की गई है, साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार निजता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, पहले ये खबर आई थी कि भारत सरकार ने व्हॉट्सएप जासूसी मामले को लेकर जवाब मांगा है, लेकिन अब गृह मंत्रालय ने कहा है कि मामले को लेकर सरकार ने कोई बयान नहीं दिया है और जो भी बयान सामने आए हैं, वे मीडिया की रिपोर्ट्स के आधार पर हैं। भारत सरकार को बदनाम करने के ये प्रयास पूरी तरह से गलत हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है। ऐसे में गोपनीयता भंग करने के लिए जिम्मेदार किसी भी मध्यस्थ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह स्पष्ट है कि भारत सरकार ने कानून के प्रावधानों के अनुसार कड़ाई से काम किया और प्रोटोकॉल का पालन किया। किसी निर्दोष नागरिक का उत्पीड़न न हो या उसकी गोपनीयता भंग न हो, इसके लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं।
ये है पूरा मामला
दरअसल फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी व्हॉट्सएप ने कहा है कि इजरायल स्पाईवेयर 'पेगासस' के जरिए कुछ अज्ञात इकाइयां वैश्विक स्तर पर जासूसी कर रही हैं। भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी का शिकार बने हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने इस बारे में व्हॉट्सएप को पत्र लिखकर अपना जवाब देने को कहा है। व्हॉट्सएप ने कहा है कि वह एनएसओ समूह के खिलाफ मुकदमा करने जा रही है। यह इजराइल की निगरानी करने वाली कंपनी है। समझा जाता है कि इसी कंपनी ने वह प्रौद्योगिकी विकसित की है जिसके जरिए अज्ञात इकाइयों ने जासूसी के लिए करीब 1,400 लोगों के फोन हैक किए हैं। इन इकाइयों का नाम नहीं बताया गया है लेकिन कहा गया है जिन लोगों के फोन हैक हुए हैं वे चार महाद्वीपों में फैले हैं। इनमें राजनयिक, राजनीतिक विरोधी, पत्रकार और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं। हालांकि, व्हॉट्सएप ने यह खुलासा नहीं किया है कि किसके कहने पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फोन हैक किए गए हैं। व्हॉट्सएप ने यह भी नहीं बताया कि भारत में कितने लोगों को इस जासूसी का निशाना बनाया गया या वे कौन लोग हैं। कंपनी ने कहा कि मई में उसे एक ऐसे साइबर हमले का पता चला जिसमें उसकी वीडियो कॉलिंग प्रणाली के जरिये प्रयोगकर्ताओं को मालवेयर भेजा गया। व्हॉट्सएप ने कहा कि उसने करीब 1,400 प्रयोगकर्ताओं को विशेष व्हॉट्सएप संदेश के जरिये इसकी जानकारी दी है। कंपनी को लगता है कि ये व्यक्ति इस मालवेयर से प्रभावित हुए हैं। हालांकि कंपनी ने भारत में इस स्पाईवेयर हमले से प्रभावित लोगों की संख्या नहीं बताई है लेकिन उसके प्रवक्ता ने कहा कि इस सप्ताह हमने जिन लोगों से संपर्क किया है उनमें भारतीय प्रयोगकर्ता भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि वैश्विक स्तर पर व्हॉट्सएप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या डेढ़ अरब है। भारत में करीब 40 करोड़ लोग व्हॉट्सएप का इस्तेमाल करते हैं। व्हॉट्सएप ने मंगलवार को कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में इजराइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। हालांकि, एनएसओ ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह लाइसेंसधारी सरकारी खुफिया और विधि प्रवर्तन एजेंसियों को प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराती है जिससे ये एजेंसियां आतंकवाद और गंभीर अपराध से संबंधित मामलों में लड़ सकें। हमारी प्रौद्योगिकी का डिजाइन या लाइसेंस मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए नहीं है।