ओसाका। तेज की कीमतों में पिछले कुछ समय से दिख रही तेजी के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत कच्चे तेल मूल्यों के मौजूदा स्तर से निपट सकता है लेकिन इसके और महंगा होने से इसका अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और मुद्रास्फीति का दबाव बनेगा।
कच्चा तेल सात महीने के उच्च स्तर 50 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुका है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल एक डालर की वृद्धि पर देश का आयात खर्च 9,126 करोड़ रुपए (1.36 अरब डॉलर) बढ जाता है। साथ ही इससे सामान्य महंगाई का दबाव भी बढता है। जेटली ने कहा, निश्चित रूप से कच्चे तेल की कीमतों का बढना भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। लेकिन अगर यह दायरे में रही, जिस दायरे में यह अभी है, इससे निपटा जा सकता है। लेकिन अगर यह दायरे से बाहर जाता है, तब निश्चित रूप से मुश्किल पैदा होगी।
पेट्रोल कीमतों में मार्च से अबतक पांच बार वृद्धि की जा चुकी है। कुल मिलाकर 8.99 रुपए प्रति लीटर और डीजल में 9.79 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें अक्तूबर 2015 के बाद से बढ़कर पहली बार 50 डॉलर प्रति बैरल हो गयी। पेट्रोल की कीमत में प्रति लीटर एक रुपए की वृद्धि से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में 0.02 फीसदी तथा डीजल के भाव में इतनी ही बढ़ोतरी से 0.07 फीसदी की बढ़ोतरी होती है।
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जेटली ने कहा कि जो बाह्य कारक आर्थिक वृद्धि दर को प्रभावित करते हैं, वे तेल एवं जिंसों के दाम हैं। भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 में 7.6 फीसदी रही। भारत शुद्ध रूप से कच्चे तेल का खरीदार रहा है और पिछले एक साल से अधिक समय से कम कीमत से लाभान्वित हुआ। और अगर कीमत मौजूदा दायरे में रहती है तो हम उसे झेल सकते है। हालांकि अगर कीमतों में अनुचित वृद्धि होती है तो उसका प्रभाव मुद्रास्फीति तथा बचत दोनों पर होगा जिसे महसूस किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर कीमत बढ़ती है तो सरकार को स्थिति से निपटना होगा। वर्ष 2014 तथा 2015 की दूसरी छमाही में जब तेल की कीमतों में नरमी रही तो सरकार ने अपने राजस्व को पूरा करने तथा घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिये पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया। कुल मिलाकर पेट्रोल पर 11.77 रुपए लीटर तथा डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क बढाया गया। जेटली ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिये निश्चित रूप से वैश्विक माहौल मददगार नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर वैश्विक माहौल मददगार हो तो अर्थव्यवस्था का 8 से 9 फीसदी वृद्धि हासिल करना संभव है लेकिन वैश्विक माहौल प्रतिकूल हो तो इसे 7.6 फीसदी पर भी बनाये रखना अत्यंत कठिन होगा। जेटली ने कहा, एक बार वैश्विक वृद्धि दर लौटती है, मुझे लगता है कि यह 7.6 फीसदी वृद्धि को आगे बढ़ाने के बारे में सोचने का सकारात्मक कारण है। वित्त मंत्री ने कहा कि वृद्धि अनुकूल नीतियों के साथ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यय के निर्णय से भारत को उच्च वृद्धि हासिल करने में मदद मिली है।
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