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अधिक खरीफ उत्‍पादन और MSP में वृद्धि से किसानों की जेब में आएंगे अतिरिक्‍त 50,000 करोड़ रुपए, रिपोर्ट का दावा

केयर रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2020-21 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों के पहले अग्रिम अनुमान में 14.452 करोड़ टन खाद्न्नय उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया गया है

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: September 26, 2020 13:51 IST
High kharif output coupled with MSP hikes can leave farmers with more liquidity of Rs 50K cr- India TV Paisa
Photo:DNA INDIA

High kharif output coupled with MSP hikes can leave farmers with more liquidity of Rs 50K cr

नई दिल्‍ली। इस साल अच्‍छे मानसून की वजह से रिकॉर्ड 30.1 करोड़ टन खाद्न्‍न उत्‍पादन होने और हाल ही में रबी फसलों के लिए की गई न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) में वृद्धि से किसानों को अतिरिक्‍त 50,000 करोड़ रुपए की राशि मिल सकती है। ऐसा दावा एक रिपोर्ट में किया गया है।

केयर रेटिंग्‍स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि 2020-21 के लिए प्रमुख खरीफ फसलों के पहले अग्रिम अनुमान में 14.452 करोड़ टन खाद्न्‍नय उत्‍पादन का अनुमान व्‍यक्‍त किया गया है और ओवरऑल खाद्न्‍न 30.1 करोड़ टन उत्‍पादन का अनुमान है। केंद्र सरकार ने खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) में औसतन क्रमश: 4.7 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत की वृद्धि की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ फसल की कटाई के बाद, किसानों की आय सकल 50,000 करोड़ रुपए और निवेश, उपभोग और कच्‍चे माल पर खर्च के बाद शुद्ध रूप से 40,000 करोड़ रुपए बढ़ने की उम्‍मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है इस अतिरिक्‍त आय का 30 प्रतिशत या 12,000 करोड़ रुपए बचत के रूप में जमा किया जा सकता है, जबकि 5 प्रतिशत या 1400 करोड़ रुपए की राशि महामारी की वजह से उत्‍पन्‍न होने वाली आपात परिस्थितियों के लिए रखी जा सकती है।  

केयर रेटिंग्‍स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुल अतिरिक्‍त आय में से 26,600 करोड़ रुपए का इस्‍तेमाल किसानों द्वारा अपने उपभोग खर्च के लिए करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस 26,600 करोड़ रुपए में से 45 प्रतिशत को कपड़े व फुटवियर (25 प्रतिशत) और टिकाऊ सामान (22 प्रतिशत) पर खर्च किया जाएगा।

यह भी महत्‍वपूर्ण है कि दो और तीन पहिया की बिक्री में लगभग आधी हिस्‍सेदारी ग्रामीण इलाकों की है और 30-40 प्रतिशत कार बिक्री इन्‍हीं इलाकों में होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अतिरिक्‍त आय से टिकाऊ सामान को 5900 करोड़ रुपए की मांग, जबकि एफएमसीजी उत्‍पादों को 2600 करोड़ रुपए और कपड़े व फुटवियर को 6650 करोड़ रुपए की मांग देखने को मिल सकती है।  

शिक्षा क्षेत्र को 2650 करोड़ रुपए का बूस्‍ट मिल सकता है और स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को 1400 करोड़ रुपए और उपभोक्‍ता सेवा को 4000 करोड़ रुपए एवं एंटरटेनमेंट को 4800 करोड़ रुपए का बूस्‍ट मिल सकता है।

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