नई दिल्ली। मोबाइल दूरसंचार बाजार में तहलका मचाने वाली रिलायंस जियो के कारोबार के पहले दो साल में देश में मोबाइल इंटरनेट की दरों में तेज गिरावट और इसके इस्तेमाल में उल्लेखनीय विस्तार दिखा। कंपनी ने बुधवार को अपने कारोबार का दूसरा साल पूरा किया। विश्लेषणों के मुताबिक इन दो वर्षों के दौरान भारत में मोबाइल डाटा का इस्तेमाल 20 करोड़ गीगाबाइट (GB) से बढ़ कर करीब 370 करोड़ जीबी तक पहुंच गया। इसका मुख्य वजह मोबाइल डाटा का सस्ता होना बताया जा रहा है।
जियो के आने के बाद भारत मुफ्त मोबाइल कॉल भी एक हकीकत बनी। जियो ने पहली बार अपने ग्राहकों को असीमित मुफ्त कॉल की सुविधा दी और प्रतिस्पर्धा के चलते बाजार में दूसरे सेवा प्रदाताओं ने भी इस तरह के प्लान पेश किया।
विश्लेषकों के अनुसार रिलायंस जियो के आने से ठीक पहले 1 जीबी डाटा की कीमत 250 रुपए के आसपास हुआ करती थी। आज यह दर 15 रुपए के आस-पास है। रिलायंस जियो के एक सूत्र ने कहा कि जियो के आने के बाद डाटा बाजार में असली लोकतंत्र आया है। जियो ने आम लोगों भी अब इसका इस्तेमाल करने की स्थिति में ला दिया है।
आंकड़ों के अनुसार देश में इस समय इस्तेमाल हो रहे 340 करोड़ जीबी डाटा में से अकेले जियो के ग्राहक ही 240 करोड़ जीबी डाटा इस्तेमाल कर रहे हैं। इस साल जून के अंत में भारत में सक्रिय मोबाइल कनेक्शनों की संख्या 1.15 अरब थी और उस समय 21.5 करोड़ उपभोक्तता जियो नेटवर्क पर ब्रॉडबैंड सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे थे।
देश में 2015 में भारत में 2G और 3G ने एकदम से बढ़त हासिल की थी, लेकिन उस समय 4G को ज्यादा बड़े पैमाने पर भारतीय दूरसंचार जगत में बढ़ावा नहीं दिया था। जियो के आने से इस क्षेत्र में एक नया मोड़ था।
जियो का पूरा नेटवर्क नया होने के कारण ब्रॉडबैंड इंटरनेट प्रोटोकॉल पर है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में 76 प्रतिशत डाटा-ट्रैफिक जियो के नेटवर्क पर था। उसके ग्राहक प्रति माह औसतन 15.4 घंटे का वीडियो का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी दौरान इसके नेटवर्क पर प्रति माह प्रति उपभोक्ता औसतन 744 मिनट की काल की गयी।
रिलायंस जियो के सूत्र ने कहा कि पिछले दो साल में हमने भारत में डाटा कारोबार की विशाल संभावनाओं के द्वार खोले हैं और भारत डाटा उपभोग के मामले में शीर्ष पर आ गया है। हम अब देश के उन 50 करोड़ ग्राहकों को डिजिटल दूरसंचार परिवेश में लाने में लगे हैं जो बेसिक फोन इस्तेमाल करते हैं और अभी इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि इससे दूरदराज के गांव के लोगों को भी ई-बैंकिंग, ई-स्वास्थ्य और ई-गवर्नेंस जैसी सेवाएं (इंटरनेट के जरिए सरकारी सेवाएं) मिल सकेंगी।