नई दिल्ली। एचडीएफ़सी ने कंपनी के सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की योजना के तहत कोविड-19 राहत प्रयासों के लिए चालिस करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जताई है। एचडीएफ़सी ने रविवार को एक बयान में कहा कि वह जरुरत के आधार पर अगली दो तिमाही के दौरान अपना समर्थन बढ़ाएगा। एचडीएफ़सी फिलहाल अपनी सहायक कंपनी पारेख फॉउंडेशन के जरिये राहत कार्य चला रहा है। एचडीएफ़सी ने कहा कि सरकार और कई धर्मार्थ अस्पतालों के साथ मिलकर उसने स्वास्थ्य सेवाओं के टिकाऊ बुनियादी ढांचे के लिए मदद देने की योजना बनाई है। एचडीएफ़सी ने कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के अस्पतालों में गंभीर रोगियों की सहायता के लिए 80 उच्च गुणवत्ता वाले आईसीयू वेंटिलेटर का सीधी खरीद और वितरण किया है। वह मेडिकल ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए कम से कम 10 ऑक्सीजन संवर्धन संयंत्र भी स्थापित करेगा।
एचडीएफ़सी के अध्यक्ष दीपक पारेख ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के लिए तत्काल जरूरतों और एक लचीले स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए देश में एक संतुलन बनाना बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वास्थ ढांचे में हमारे समर्थन के अलावा हम बच्चों, प्रवासियों, वरिष्ठ नागरिकों, गंभीर रूप से बीमार रोगियों और विकलांग व्यक्तियों सहित सबसे कमजोर समूहों को मानवीय सहायता प्रदान कर रहे हैं। हम देश और सकारात्मक भविष्य की आशा के प्रति प्रतिबद्ध हैं।’
RIL ने कोविड इलाज के लिये दवा का प्रस्ताव दिया
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिडेट की अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) इकाई ने कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए निक्लोसामाइड के इस्तेमाल का प्रस्ताव दिया है। यह दवा आंत में रहने वाले कीड़े के संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। निक्लोसामाइड विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है। इसका फीताकृमि (टेपवॉर्म) के संक्रमण के इलाज में 50 वर्षों से ज्यादा समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस ओरल एंटीवायरल दवा का इस्तेमाल 2003-04 में सार्स बीमारी के प्रकोप के दौरान मरीजों के इलाज में भी किया गया था। कंपनी की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, "कंपनी ने कोविड-19 के इलाज के लिए संभावित दवा के तौर पर निक्लोसामाइड के इस्तेमाल का प्रस्ताव सौंपा है।" औषधि नियामक लोगों में इस दवा के इस्तेमाल के लिए प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगा।
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