2010 में लॉन्च किए गए M2M का लक्ष्य डेयरी किसानों को योजनाबद्ध बैंकिंग सिस्टम में लाना, संपूर्ण वैल्यू चेन को डिजिटाइज करना और उन्हें उनकी बैंकिंग तथा वित्तीय जरूरतों को पूरा करने वाले सभी उत्पाद प्रदान करना है।
इस कदम से किसानों का कैश-फ्लो बेहतर बनेगा और सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए ज्यादा एफिशिएंसी सुनिश्चित होगी।
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HDFC बैंक के एग्री बिजनेस के हेड माईकल एंड्राडे ने कहा
हमें देश में दूसरी श्वेत क्रांति तथा किसानों की जिंदगी में इसके द्वारा लाए गए बदलावों पर बहुत गर्व है। इन्हें औपचारिक वित्तीय सीमा में लाने से उन्हें बेहतर जिंदगी मिली है।
इन राज्यों में है M2M का फुटप्रिंट
- M2M का फुटप्रिंट गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, बिहार, असम, मेघालय, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तक पहुंच चुके हैं।
- नोटबंदी के बाद इस कार्यक्रम को काफी गति मिली है और नवंबर, 2016 के बाद को-ऑपरेटिव्स की संख्या में भारी वृद्धि हुई है।
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M2M के ये हैं फायदे
- बड़े कलेक्शन प्वाईंट्स में मिल्कटूमनी ATM में कैश डिस्पेंसर हैं। छोटे कलेक्शन प्वाईंट्स बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) ऑपरेटेड माईक्रो ATM से लैस हैं, जिससे किसानों को अपने खातों से तत्काल पैसे निकालने में मदद मिलती है।
- दूध के कलेक्शन में पारदार्शिता से किसान तथा समाज दोनों लाभान्वित होते हैं क्योंकि कैश वितरण की समस्या के बिना भुगतान तेजी से हो जाते हैं।
- किसान के बैंक खाते में पैसे आने से क्रेडिट का इतिहास बनता है, जिसकी मदद से वे लोन ले सकता है। पशुओं की खरीदारी कर सकता है और अपना बिजनेस बढ़ा सकता है एवं अन्य बैंकिंग उत्पाद खरीद सकता है।
- किसानों को उसी खाते में सरकार से सीधा बेनिफिट ट्रांसफर मिल सकता है।
- किसानों को पशु के लिए लोन, किसान क्रेडिट कार्ड, टू-व्हीलर लोन, ओवरड्राफ्ट, फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे उत्पादों के लिए बैंक की सुविधा मिलती है।