नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने गुरुवार को डीएचएफएल प्रमोटर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन को यस बैंक धोखाधड़ी मामले में जमानत दे दी। दरअसल प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) अनिवार्य 60 दिन की समय सीमा के अंदर इस मामले में आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रहा। दोनों को 'डिफॉल्ट' जमानत देते हुए, न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने वधावन बंधुओं को पासपोर्ट सरेंडर करने और जमानत के तौर पर 1 लाख रुपये की राशि जमा करने के आदेश दिए।
वधावन बंधु हालांकि इस जमानत के बाद तत्काल जेल से रिहा होने में सफल नहीं हो पाएंगे, क्योंकि सीबीआई ने भी इसी मामले में उन्हें अलग से आरोपी बनाया हुआ है। दोनों को सीबीआई ने 26 अप्रैल को महाबलेश्वर हिल स्टेशन से हिरासत में लिया था और उसके तीन सप्ताह बाद ईडी ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था।
न्यायमूर्ति डांगरे ने अतिरिक्त सॉलिस्टिर जनरल अनिल सिंह की दो सप्ताह के लिए जमानत याचिका पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि स्थायी कानूनी स्थिति यह है कि एक बार अगर डिफॉल्ट जमानत का अधिकार मिल जाता है तो, आरोपी को एक दिन भी हिरासत में नहीं रखा जा सकता। ईडी ने 14 मई को वधावन बंधुओं को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था, लेकिन एजेंसी तय 60 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकी थी, इसी आधार पर दोनों ने बांबे हाई कोर्ट का रूख किया था और जमानत की मांग की थी।
ईडी ने आरोपपत्र दाखिल करने की अवधि-15 जुलाई के एक दिन बाद आरोपपत्र दाखिल किया। एजेंसी ने वधावन बंधुओं, यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर, उनकी पत्नी बिंदू कपूर और बेटियां रेखा व रोशनी और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। सीबीआई ने 7 मार्च को यस बैंक द्वारा संदेहपूर्ण ऋण दिए जाने के मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसके आधार पर ईडी ने अपनी जांच शुरू की थी। वधावन बंधुओं को पासपोर्ट सरेंडर करने और जमानत के तौर पर 1 लाख रुपये की राशि जमा करने के आदेश