नई दिल्ली। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर द्वारा हाल ही में नारियल तेल को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताने और इसे शुद्ध जहर घोषित करने के बावजूद पिछले चार सालों में भारत से नारियल उत्पादों का निर्यात बढ़कर लगभग दोगुना हो गया है। कृषि मंत्रालय ने बताया कि राजग सरकार के पहले चार वर्षों के दौरान भारत के नारियल उत्पादों का निर्यात 6,448 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि संप्रग सरकार के 10 सालों के दौरान 3,975 करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात हुआ था।
कृषि मंत्रालय ने कहा कि नारियल उत्पादों के निर्यात में निकट भविष्य में मात्रात्मक वृद्धि आने की उम्मीद है, क्योंकि नारियल के उत्पादों की कीमत तेजी के साथ प्रतिस्पर्धी होती जा रही है। सरकार वर्ष 2015-20 के लिए नई विदेश व्यापार नीति के तहत पांच प्रतिशत प्रोत्साहन देकर नारियल उत्पाद निर्यात को बढ़ावा दे रही है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2004 से 14 के दौरान नारियल उत्पादों के निर्यात से अर्जित आय 3, 975 करोड़ रुपए थी, जो 2014-18 के दौरान बढ़कर 6,448 करोड़ रुपए हो गई। सरकार के प्रयासों के साथ, भारत ने मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका में नारियल का तेल निर्यात करना शुरू कर दिया है। पिछले साल तक भारत इन देशों से नारियल का तेल आयात करता था।
इसके अलावा, पहली बार भारत अमेरिका और यूरोपीय देशों को बड़ी मात्रा में सूखे नारियल का निर्यात कर रहा है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत का वार्षिक नारियल उत्पादन 2437.80 करोड़ रुपए का है और उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 11,616 नारियल की है। इस फसल की 20.98 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है। ये फसल सकल घरेलू उत्पाद में 34,100 करोड़ रुपए का योगदान देती है। एक लाख से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए इस फसल पर निर्भर हैं।