नई दिल्ली। कॉरपोरेट सेक्टर के बैड लोन को वसूलने के लिए बैंकों के प्रयासों को मजबूती देते हुए गुजरात हाई कोर्ट ने एस्सार स्टील की RBI के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। एस्सार स्टील ने डूबे कर्ज के मामले में रिजर्व बैंक (RBI) के फैसले को चुनौती दी थी। RBI ने एस्सार स्टील के मामले को कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी CLT में भेज दिया था। एस्सार स्टील ने हाई कोर्ट में RBI के उस सर्कुलर के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें उसने बैंकों को एस्सार स्टील और अन्य 11 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। इन 12 कंपनियों में से प्रत्येक पर कम से कम 5,000 करोड़ रुपए की रकम बकाया है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से बैड लोन की वसूली के लिए RBI को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई का अधिकार दिए जाने के बाद इस मामले में तेजी आई है। RBI ने एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को 12 बड़ी डिफॉल्टर कंपनियों के खिलाफ तत्काल इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है। RBI ने पिछले महीने ही 12 ऐसे खातों की सूची जारी की थी, जिन पर 5,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज बकाया है। इन 12 कंपनियों पर ही बैंकों के कुल बैड लोन का 25 फीसदी बकाया है।
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इससे पहले हाई कोर्ट ने एस्सार स्टील के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी ऐक्ट के तहत कार्रवाई पर स्थगन का आदेश दिया था। एस्सार स्टील ने कोर्ट में इस तर्क के साथ याचिका दायर की थी कि कंपनी अभी लोन स्ट्रक्चरिंग में जुटी हुई है। ऐसे में RBI का सर्कुलर सही नहीं है। कंपनी ने तर्क दिया था कि उसके साथ बैड लोन के तहत कार्रवाई का सामना करने वाली अन्य 11 कंपनियों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। कंपनी सालाना 20,000 करोड़ रुपए के टर्नओवर के साथ अच्छा काम कर रही है।