नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने मंगलवार को ‘गुजरात इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2021’ की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस नीति का लक्ष्य अगले चार साल के दौरान राज्य की सड़कों पर कम से कम दो लाख बिजली से चलने वाले वाहनों को लाना है। इस नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों को घटाने के लिये सब्सिडी बढ़ाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने पर जोर दिया गया है।
नई नीति में क्या हैं बड़े ऐलान
गुजरात के मुख्यमंत्री रुपाणी ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आकर्षित करने के लिए नीति के तहत ऐसे वाहनों की खरीद पर 20,000 रुपये से 1,50,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यह नीति चार साल के लिए लागू रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नीति के क्रियान्वयन के बाद अगले चार साल के दौरान राज्य की सड़कों पर 1.10 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, 70,000 तिपहिया और 20,000 चार पहिया वाहन आने की उम्मीद है। राज्य सरकार इलेक्ट्रिक दोपहिया की खरीद पर 20,000 रुपये की सब्सिडी देगी। तिपहिया की खरीद पर 50,000 रुपये तथा चार पहिया की खरीद पर 1,50,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। यह नीति ई-वाहनों के लिए बैटरी चार्जिंग ढांचा उपलब्ध कराने पर भी केंद्रित है। अभी 278 चार्जिंग स्टेशनों(ज्यादातर राजमार्गों पर) को मंजूरी दी गई है। राज्य सरकार की योजना निकट भविष्य में 250 और चार्जिंग स्टेशन जोड़ने की है।
क्या होगा नई नीति का फायदा
रुपाणी ने कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार इससे हर साल पांच करोड़ रुपये के ईंधन की बचत होगी। साथ ही सालाना आधार पर कॉर्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन छह लाख टन घटेगा। वहीं हाल ही में सरकार के द्वारा फेम-2 योजना में बदलाव से इलेक्ट्रिक स्कूटरों में छूट बढ़ गयी है, जिससे इलेक्ट्रिक स्कूटरों की कीमतों में काफी कटौती देखने को मिली है। फिक्की जैसे उद्योग संगठनों का मानना है कि कीमतों में कटौती से इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग में बढ़त देखने को मिलेगी। सरकार कच्चे तेल की कीमतों में उछाल को देखते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर देने की योजना पर काम कर रहा है।
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