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जीएसटी लागू होना, इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग भारत के लिए कठिन काम: मूडीज

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और बुनियादी ढांचा कोष की भारी कमी पूरी करना भारत सरकार के लिए बेहद मुश्किल काम है। यह बात आज मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कही।

Dharmender Chaudhary
Updated : April 27, 2016 12:23 IST
जीएसटी लागू होना और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग, भारत के लिए कठिन काम: मूडीज
जीएसटी लागू होना और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग, भारत के लिए कठिन काम: मूडीज

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और बुनियादी ढांचा कोष की भारी कमी पूरी करना भारत सरकार के लिए बेहद मुश्किल काम है। यह बात आज मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने कही। इस रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि दहाई अंक के महंगाई दर के इतिहास, बढ़ते सरकारी कर्ज, कमजोर बुनियादी ढांचे और जटिल नियामकीय प्रणाली के कारण भारत की वित्तीय साख प्रभावित है।

रिपोर्ट में कहा गया, हमें यह भी आशंका है कि सरकार के नीतिगत एजेंडे के कुछ आयाम – मसलन जीएसटी का कार्यान्वयन और भारत के बुनियादी ढांचे में वित्तपोषण की कमी पूरी करना – के संबंध में मुश्किलें हैं। मूडीज ने हालांकि कहा कि आरबीआई के मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण से जुड़े निवेश की दिक्कतें दूर होना और बैंकों की बैलेंसशीट की सफाई की मौजूदा कोशिश से वृद्धि को प्रोत्साहन मिल सकता है।

इसके अलावा मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने चेतावनी दी कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का लंबे समय से बढ़ता एनपीए (वसूली नहीं हो रहे कर्ज) भारत की वित्तीय साख के लिए खतरा है। मूडीज ने कहा, सरकार को बैंकों की बैलेंसशीट की सफाई के लिए कुछ लागत का वहन करनी चाहिए। मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा है, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बड़ा और लंबे समय से बरकरार एनपीए सॉवरेन साख के लिए सबसे बड़े खतरों में है क्यों कि इसका राजकोषीय स्थिति पर असर होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, कर्ज जब आम तौर पर घरेलू बैंकिंग प्रणाली से लिया जा रहा है तो सरकार बैंक की बैलेंसशीट की सफाई की कुछ लागत का वहन कर सकती है।

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