नई दिल्ली। राजस्व संग्रह पर दबाव के साथ अगले हफ्ते होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों एवं स्लैब में वृद्धि को मंजूरी दी जा सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की बैठक 18 दिसंबर को होगी। अनुमान से कम जीएसटी संग्रह होने और अधिकांश राज्यों को मुआवजे में देरी से केंद्र पर काफी दबाव बना हुआ है।
वर्तमान में जीएसटी के तहत चार स्लैब 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत हैं। 28 प्रतिशत स्लैब में 1 से लेकर 25 प्रतिशत तक का उपकर भी लगाया जाता है। केंद्र और राज्य सरकारों के एक अधिकारियों के एक समूह ने मंगलवार को जीएसटी को तर्कसंगत बनाने के लिए अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप दिया। अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने 5 प्रतिशत की दर को बढ़ाकर 8 प्रतिशत और 12 प्रतिशत की दर को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने सहित विभिन्न विकल्पों पर विचार किया है।
जीएसटी परिषद की बैठक में दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक विस्तृत प्रजेंटेशन दी जाएगी। मुआवजा और अन्य मुद्दों से जुड़ी मांगों को पूरा करने के लिए परिषद कुछ उत्पादों पर उपकर को भी बढ़ाने का फैसला कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि स्लैब की संख्या कम करने के लिए परिषद स्लैब के विलय की संभावना पर भी विचार कर सकती है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में छूट वाली लिस्ट की समीक्षा की जा सकती है और कुछ सेवाओं पर उपकर लगाया जा सकता है। अप्रैल-नवंबर 2019-20 में जीएसटी संग्रह बजट अनुमान से 40 प्रतिशत कम रहा है।
अप्रैल-नवंबर के दौरान वास्तविक सीजीएसटी संग्रह 3,28,365 करोड़ रुपए रहा है, जबकि बजट अनुमान 5,26,000 करोड़ रुपए था। 2018-19 में वास्तविक सीजीएसटी संग्रह 4,57,534 करोड़ रुपए रहा, जबकि पूरे साल के लिए अनुमान 6,03,900 करोड़ रुपए था। 2017-18 में सीजीएसटी संग्रह 2,03,261 करोड़ रुपए रहा था।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 26 तिमाहियों के सबसे निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर रही है। 2012-13 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
राज्यों से मुआवजा देने की मांग जोर पकड़ रही है और जीएसटी संग्रह में लगातार गिरावट से सरकार पर भारी दबाव बना हुआ है। जीएसटी परिषद ने राजस्व बढ़ाने के लिए सभी प्रतिभागियों से प्रस्ताव, सुझाव और जानकारी मांगी है।