गोवा। प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों के लिए ज्यादा टैक्स देना होगा। भारत द्वारा पेरिस जलवायु संधि पर दस्तखत के चंद दिनों बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में पर्यावरण की दृष्टि से प्रतिकूल उत्पादों पर अन्य उत्पादों के मुकाबले अलग तरह का टैक्स लगाया जाएगा ताकि जलवायु परिवर्तन से बचाव आदि से जुड़े कामों के लिए अधिक फंड जुटाया जा सके।
वित्त मंत्री ने यहां कहा,
हम जिस अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की योजना बना रहे हैं, ऐसे उत्पाद जो पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल नहीं हैं उनपर टैक्स की दर भिन्न होगी। यह उन प्रस्तावों में से एक है, जिन पर विचार किया जा रहा है।
- सरकार वस्तु एवं सेवा कर के लिए दरों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
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- देश में कोयला और पेट्रोलियम उत्पादों पर पूर्व में भी कर लगाया गया है।
- जलवायु के लिए सभी स्रोतों से धन जुटाया जाएगा ताकि पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जा सके।
- विकसित देशों की तरफ से जलवायु परिवर्तन संबंधी परियोजनाओं के लिए जिस कोष की प्रतिबद्धता जताई गई है वह पर्याप्त नहीं है।
- इस काम में बहुपक्षीय एजेंसियों को भी हाथ बटाना चाहिए।
- वित्त मंत्री ने कहा, अब 100 अरब डॉलर के कोष (जलवायु के संबंध विकसित देशों द्वारा दिए जाने वाले धन) की प्रकृति को लेकर बहस छिड़ी है।
- विकसित देशों ने विकासशील देशों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को इस राशि की प्रतिबद्धता जताई है।
- हमें उम्मीद है कि जहां तक कोष का सवाल है तो इसको लेकर किसी तरह की दोहरी गिनती नहीं होनी चाहिए।