नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली के लिए एक नया और सुगम ऑनलाइन पोर्टल मंगलवार को शुरू हो गया है। इसमें क्रेडिट-डेबिट कार्डों और अन्य तरीकों से कर-भुगतान करना और रिटर्न फाइल करना आसान हो सकेगा। जीएसटी प्रणाली के संचालन के लिए करीब 60 प्रतिशत सॉफ्टवेयर तैयार हो चुका है।
जीएसटी के लिए ढांचा और आईटी आधार विकसित करने वाली कंपनी जीएसटीएन ने नए नेटवर्क पर जाने वाले मौजूदा करधारकों के लिए www.gst.gov.in पोर्टल शुरू कर दिया है। अगले साल अप्रैल से ‘एक बाजार, एक दर’ मॉडल के लागू होने से पहले यह राज्य और केंद्र सरकार के करों के एकीकरण के लिए सॉफ्टवेयर का परीक्षण करेगा।
जीएसटीएन के चेयरमैन नवीन कुमार ने कहा कि 65 लाख से अधिक वैट दाताओं, 20 लाख सेवा करदाताओं तथा 3 से 4 लाख केंद्रीय उत्पाद शुल्क दाताओं को नए पोर्टल पर स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कुमार ने कहा कि नए पोर्टल पर जाने वाले करदाताओं के लिए अस्थाई पहचान नंबर जीएसटीआईएन बनाया गया है। जीएसटी के तहत नया पंजीकरण अप्रैल, 2017 से शुरू होगा।
एक साथ फाइल कर सकेंगे रिटर्न
- उद्योगपति और व्यापारी उत्पाद शुल्क, सेवा कर और वैट के लिए अलग-अलग रिटर्न जमा करना पड़ता था।
- अब वे एकल मासिक रिटर्न दाखिल कर सकेंगे और क्रेडिट अथवा डेबिट कार्ड से कर का ऑनलाइन भुगतान कर सकेंगे।
- जीएसटीएन एक ऐसा नेटवर्क बना रहा है जिसके अंतर्गत सेवा कर, उत्पाद शुल्क तथा अन्य स्थानीय शुल्कों का भुगतान करने वाले करदाताओं का एकीकरण होगा।
- इसका आईटी ढांचा भी बना रही है जिससे ऑनलाइन पंजीकरण, रिफंड, रिटर्न जमा कराने तथा करों का भुगतान करने में मदद मिलेगी।
- जीएसटीएन के चेयरमैन कुमार ने कहा, ‘हमने इस पर काम नवंबर, 2015 में शुरू किया था. सॉफ्टवेयर विकास का 60 प्रतिशत का काम पूरा हो चुका है।
- शेष 40 प्रतिशत पर काम चल रहा है।
- जीएसटीएन दिल्ली और बेंगलुरु में चार डाटा केंद्र बना रही है, जिससे यह डाटा की सुरक्षा और जरूरत होने पर रिकवरी सुनिश्चित हो सके।
दिसंबर तक शुरू हो जाएगा परीक्षण
- कुमार ने कहा कि जीएसटीएन ने हार्डवेयर का आयात शुरू कर दिया है और दिसंबर तक सभी उपकरण तैयार हो जाएंगे और परीक्षण शुरू हो जाएगा।
- उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में करीब 80 लाख करदाताओं को स्थानांतरित किया जाएगा।
- उन्होंने कहा ‘‘हम प्रत्येक करदाता के लिए पैन आधारित अस्थायी आईडी बनाएंगे।
- दिसंबर तक सभी हार्डवेयर उपकरण तैयार हो जाएंगे। उसके बाद सॉफ्टवेयर को डाटा सेंटर पर डाला जाएगा और परीक्षण शुरू किया जाएगा।