नयी दिल्ली। जीएसटी परिषद ने मोबाइल फोन पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) दर को 12 से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया है। विमानों के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) सेवाओं पर यह दर घटाकर पांच प्रतिशत और हस्तनिर्मित तथा मशीन से तैयार माचिस पर जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाते हुये 12 प्रतिशत पर ला दिया गया। ये नई दरें एक अप्रैल 2020 से लागू होंगी।
मुखौटा कंपनियां बनाकर उनके माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी पर लगाम कसने के लिये माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद ने नयी पंजीकृत इकाइयों को आईटीसी जारी करने से पहले उनके प्रतिष्ठानों और उनके वित्तीय लेनदेन की जानकारी लिये जाने का फैसला किया है। बैंकों से भी सूचना रिटर्न प्राप्त करने पर जोर रहेगा।
इसलिए मोबाइल फोन पर बढ़ाया गया जीएसटी
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की शनिवार को यहां हुई 39वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चार क्षेत्र हैं 'फुटवियर, कपड़ा, उर्वरक और मोबाइल फोन' जहां तैयार माल के मुकाबले कच्चे माल के आयात पर ऊंची दर से शुल्क लगाया जाता है। यही वजह है कि 'जीएसटी परिषद की बैठक में मोबाइल फोन और उसके विशिष्ट हिस्सों पर जीएसटी दर को मौजूदा 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला किया गया।' उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों में जहां विपरीत शुल्क व्यवस्था है, यदि जरूरत पड़ती है तो भविष्य की बैठक में उस पर विचार किया जायेगा।
'ग्रे बाजार की तरफ रुख करेंगे ग्राहक'
मोबाइल उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस कदम से दाम पर असर पड़ेगा। विशेषकर ऐसे समय जब कोरोना वायरस की वजह से इलेक्ट्रानिक आपूर्ति श्रंखला अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, दाम बढ़ने का मतलब होगा ग्राहकों का एक तबका पुराने हैंडसेट खरीदना पसंद करेगा या फिर ग्रे बाजार की तरफ रुख कर सकता है।
माचिस पर जीएसटी 12 प्रतिशत किया
एक अन्य फैसले में हाथ से बनी और मशीन से बनी माचिस की तीली पर जीएसटी दर को तर्क संगत बनाते हुये 12 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। वर्तमान में हस्तनिर्मित तीलियों पर पांच प्रतिशत और मशीन निर्मित पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। अब दोनों पर एक समान 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जायेगा। इस मुद्दे पर परिषद की 37वीं बैठक में भी चर्चा हुई थी लेकिन फैसला नहीं लिया गया था।
एमआरओ सेवाओं पर घटाई जीएसटी दर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के बाद बताया कि परिषद ने विमानों के रखरखाव, मरम्मत, ओवरहॉल (एमआरओ) सेवाओं पर जीएसटी की दर को 18 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है। विमानों की एमआरओ सेवाओं पर जीएसटी दर में किये गये बदलाव से भारत में इन सेवाओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी। सीतरमण ने कहा कि इंफोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने जीएसटी नेटवर्क की कमियां दूर करने और उसे बेहतर बनाने के लिये बैठक में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया। इसमें नेटवर्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिये जरूरी हार्डवेयर खरीदने और अधिक कार्यबल की नियुक्ति के बारे में भी बताया गया, जिस पर परिषद ने अपनी सहमति जता दी। जीएसटी परिषद को उम्मीद है कि नेटवर्क की बेहतरी के लिये जो भी पहलें की गई हैं उन्हें 31 जुलाई 2020 तक अमल में ला दिया जायेगा।
ई-चालान और QR कोड लागू करने की तिथि बढ़ाई गई
बैठक में ई-चालान और क्यूआर कोड लागू करने की तिथि को एक अक्टूबर 2020 तक आगे बढ़ा दिया गया। इससे पहले यह सुविधा एक अप्रैल से लागू होनी थी। इसके साथ ही ई-वालेट योजना लागू करने की तिथि भी 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दी गई।
इनपुट टैक्स क्रेडिट धोखाधड़ी पर कसी जाएगी लगाम
जीएसटी परिषद की बैठक में जीएसटी इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में हो रही धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिये नई पहल को लेकर भी सिफारिश की गई। मुखौटा कंपनियां बनाकर उनके माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) धोखाधड़ी पर लगाम कसने के लिये माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद ने नयी पंजीकृत इकाइयों को आईटीसी जारी करने से पहले उनके प्रतिष्ठानों और उनके वित्तीय लेनदेन की जानकारी लिये जाने की सिफारिश की है। इसके साथ ही बैंकों से भी सूचना रिटर्न प्राप्त करने पर भी जोर रहेगा। जीएसटी भुगतान में देरी होने पर शुद्ध नकद कर देनदारी के आधार पर ब्याज लगाया जाएगा। इसकी गणना एक जुलाई 2017 से की जाएगी। इस संबंध में कानून में पिछली तिथि से जरूरी संशोधन किया जाएगा।
छोटे कारोबारियों की दी राहत
कारोबारियों की सुविधा के लिये 14 मार्च 2020 तक निरस्त जीएसटी पंजीकरण को फिर से बहाल करने के लिये 30 जून 2020 तक आवेदन दिया जा सकता है। कारोबार शुरू करने वालों को यह एकबारगी सुविधा दी जाएगी। पांच करोड़ रुपये से कम सकल कारोबार करने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों को 2018-19 वित्त वर्ष के लिये फार्म जीएसटीआर-9सी में मिलान विवरण दाखिल करने के मामले में राहत दी जायेगी। वित्त वर्ष 2018-19 के लिये सालाना रिटर्न और मिलान विवरण दर्ज करने की तिथि 30 जून 2020 तक बढ़ाई जायेगी। इसी प्रकार दो करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाले करदाताओं के लिये 2017-18 और 2018-19 की सालाना रिटर्न और लेन- देन मिलान विवरण दाखिल करने पर विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। परिषद ने एक नई सुविधा 'अपने आपूर्तिकर्ता को जानो' शुरू करने का भी फैसला किया है। इसके तहत पंजीकृत कारोबारियों को अपने आपूर्तिकर्ता कारोबारी के बारे में कुछ जरूरी बुनियादी जानकारी रखने के लिए कहा जाएगा।