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GST रिटर्न भरने का नया संस्करण 22 अक्टूबर को होगा जारी, जीएसटीएन सीईओ ने बताया क्या है मकसद

माल एवं सेवाकर नेटवर्क (जीएसटीएन) 22 अक्टूबर यानी मंगलवार को जीएसटी रिटर्न भरने के नए संस्करण को जारी करेगा। जिसका मकसद रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है।

Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: October 13, 2019 11:08 IST
GST Network CEO Prakash Kumar- India TV Paisa

GST Network CEO Prakash Kumar

नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर नेटवर्क (जीएसटीएन) 22 अक्टूबर यानी मंगलवार को जीएसटी रिटर्न भरने के नए संस्करण को जारी करेगा। जिसका मकसद रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है। जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार ने यहां आईआईटी दिल्ली एल्युमनी एसोसिएशन द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कहा, 'जीएसटी रिटर्न भरने के मौजूदा दूसरे संस्करण में कई सुझावों को शामिल कर लिया गया था, अब तीसरा संस्करण 22 अक्टूबर से आने जा रहा है।' 

बता दें कि जीएसटीएन की जीएसटी के क्रियान्वयन में बड़ी भूमिका है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के करदाताओं और दूसरे पक्षों को जीएसटी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नेटवर्क का ढांचा और जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराता है। जीएसटी के लिए नेटवर्क व्यवस्था उपलब्ध कराने वाली इकाई जीएसटीएन ने उद्योग जगत और खासतौर से छोटे व्यवसायियों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के नए सरल फार्म तैयार किए हैं। ये सरल फार्म जीएसटी नेटवर्क की साइट पर उपलब्ध हैं और परीक्षण के तौर पर कारोबारी इन्हें देख और समझ सकते हैं। ये नये फार्म एक अप्रैल 2020 से अमल में आएंगे। 

प्रकाश कुमार ने कहा कि जीएसटी के लागू होने से अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में जटिलता काफी कम हुई है। जीएसटी के क्रियान्वयन से कारोबारियों द्वारा भरे जाने वाले फार्म की संख्या घटकर मात्र 12 रह गई है। जबकि इससे पहले विभिन्न केन्द्रीय और राज्य कानूनों के तहत 495 फार्म तक भरने होते थे। उन्होंने कहा कि कि अप्रत्यक्ष कर प्रशासन अब आयकर विभाग के साथ भी आंकड़ों को साझा करता है। इस पहल से कर चोरी को पकड़ने में मदद मिलेगी। वर्तमान में जीएसटी के तहत एक करोड़ 23 लाख करदाता पंजीकृत हैं। 

जीएसटी परिषद के विशेष सचिव राजीव रंजन ने इस अवसर पर कहा कि जीएसटी ने कारोबारियों के लिये कारोबार करने के लिए जरूरी विभिन्न सुविधाओं की लागत को कम किया है। इसके साथ ही नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में विभिन्न वस्तुओं की दर में कमी लाये जाने से दाम कम हुए हैं और मुद्रास्फीति पर अंकुश लगा है। 

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