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GST investigation arm finds Tata Starbucks guilty of profiteering Rs 4.51 cr
नई दिल्ली। टाटा स्टारबक्स को कर में कमी का लाभ उपभोक्ताओं को न देकर 4.51 करोड़ रुपए की मुनाफाखोरी करने का दोषी पाया गया है। जीएसटी की जांच इकाई ने पाया है कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती के बाद भी कंपनी ने कॉफी के दाम नहीं घटाकर मुनाफाखोरी की है।
मुनाफाखोरी महानिदेशालय (डीजीएपी) की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि टाटा और वैश्विक कॉफी श्रृंखला स्टारबक्स की समान हिस्सेदारी वाले संयुक्त उद्यम ने अपनी एक कॉफी के दाम तब बढ़ाए जबकि जीएसटी परिषद ने रेस्टॉरेंट्स पर जीएसटी की दर को 18 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया था। यह दर 15 नवंबर, 2017 से लागू हुई थी। इससे इस उत्पाद का खुदरा बिक्री मूल्य जीएसटी दर में कटौती से पहले जितना ही रहा। सूत्रों ने बताया कि डीजीएपी ने अपनी जांच मार्च में पूरी की। जांच में पाया गया कि कंपनी ने 4.51 करोड़ रुपए की मुनाफाखोरी की है।
अब इस मामले की सुनवाई राष्ट्रीय मुनाफाखोरी प्राधिकरण (एनएए) में होगी, जो मुनाफाखोरी की राशि पर अंतिम आदेश जारी करेगा। इस बारे में टाटा स्टारबक्स के प्रवक्ता ने कहा कि एक जिम्मेदार संगठन के रूप में कंपनी अपना कारोबार पूरी नैतिकता के साथ करती है ओर सभी स्थानीय कानूनों और नियमनों का अनुपालन करती है।
कंपनी अक्टूबर, 2012 में भारतीय बाजार में उतरी थी। फिलहाल वह मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, चंडीगढ़, पुणे और कोलकाता में 140 आउटलेट्स चलाती है।