नई दिल्ली। इस साल जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने से कारोबार में अस्थाई मंदी आई है। हालांकि, सरकार ने इस पर विचार किया है और व्यापार में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। एसोचैम-EY के संयुक्त अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। एसोचैम और EY द्वारा संयुक्त रूप से किए गए अध्ययन ‘चिंतन, परिवर्तन, कार्यान्वयन : भारत में निवेश’ शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लेकिन एक आम सहमति यह है कि भारत आने वाले समय में सतत विकास के पथ पर अग्रसर है।’
इसमें कहा गया कि GST लागू होने के बाद राज्यों के बीच के कई जांच बैरियर हट गए हैं और केंद्रीय बिक्री कर (CST) की लागत नहीं लगती, राज्यों के बीच माल की आवाजाही आसान हुई है।
इस अध्ययन में यह भी कहा गया कि GST ने देश में कारोबार के सभी पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला और वितरण निर्णयों, माल सूची लागत और नकदी का प्रवाह, कीमत निर्धारण नीति, लेखा और लेनदेन प्रबंधन शामिल है।
इसमें आगे कहा गया कि GST, जीएसटी-पूर्व शासन के तहत तय किए गए अनुबंधों की कीमतों पर असर डालेगा और GST-शासन के तहत उन अनुबंधों पर आंशिक या पूरी तरह क्रियान्वयन होने का प्रस्ताव है।
इसमें कहा गया है कि – साथ ही, GST के लागू होने से कर के कम लागत के कारण समग्र प्रक्रिया में कमी आनी चाहिए। एसोचैम-EY रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों को निवेश की संभावनाओं को और मजबूत करने के लिए निवेशकों के अनुकूल नीतियां बनानी चाहिए।
इसमें कहा गया है कि सरकार लगातार देश में कारोबार का वातावरण सुधारने पर ध्यान दे रही है। लेकिन निवेश को आकर्षित करने के लिए इसमें महत्वपूर्ण सुधार की जरूरत है। इसमें कहा गया कि निवेशकों को जटिल कानूनी ढांचे से परेशानी होती है, इसलिए सरकार को न्यायिक सुधार करना चाहिए।
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