नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की आज हुई बैठक में आम आदमी से लेकर कारोबारियों को बड़ी राहत दी गई है। काउंसिल ने नमकीन, कपड़े, स्टेशनरी, डीजल इंजन सहित विभिन्न्ा जॉब वर्क से वस्तु एवं सेवा कर घटा दिया है। इसकेे अलावा अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने और जीएसटी की वजह से मंद पड़ी कारोबारी गतिविधियों में जान फूंकने के लिए भी अहम निर्णय लिए गए। छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देतेे हुए 1.5 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाले व्यापारियों को मासिक की जगह तिमाही रिटर्न फाइल करने की सुविधा दी गई है।
ये सभी चीजें हुईं सस्ती
नई दिल्ली में विज्ञान भवन में हुई जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक में बैठक के बाद भारत के वित्त मंत्री ने कहा कि काउंसिल ने कई जरूरी वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर घटाने का निर्णय लिया है। इसके तहत खाखरा और नमकीन पर जीएसटी की दर 12 से घटाकर 5 कर दी गई है। इसके अलावा प्लास्टिक वेस्ट पर 18 से घटाकर 5, पेपर वेस्ट 12 से 5 फीसदी कर दी गई है। वहीं यार्न पर जीएसटी को 18 से कम कर 12 कर दिया गया है। इससे कपड़े सस्ते होंगे। वहीं ग्रेनाइट या मार्बल छोड़कर अन्य स्टोन पर जीएसटी 28 से 18 फीसदी कर दिया गया है। इससे मकान बनाना सस्ता होगा। साथ ही स्टेशनरी पर जीएसटी 28 से 18 कर दिया गया है। डीजल इंजन पर दर 28 से 18 हो गई है। वहीं जॉब वर्क जरी, इमिटेशन ज्वेलरी, फूड, प्रिंटिंग को 5 फीसदी में लाया गया है। सरकारी कॉन्ट्रेक्ट जिसमें ज्यादा मजदूरों की जरूरत होती है। इसे 12 से घटाकर 5 फीसदी में किया गया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि एक्सपोर्टर्स को 10 अक्टूबर से जुलाई का और 18 अक्टूबर से अगस्त का रिफंड मिलना शुरू होगा। रिफंड के लिए कारोबारियों को ईवॉलेट की सुविधा दी जाएगी। यह व्यवस्था 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी। वित्त मंत्री ने बताया कि कंपोजीशन स्कीम के तहत ट्रेडिंग करने वाले 1 फीसदी टैक्स, मैन्युफैक्चरिंग वाले 2 फीसदी टैक्स, रेस्टोरेंट वाले 5 फीसदी टैक्स देंगे।
वित्त मंत्री ने कहा है कि कम्पाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख रुपए टर्नओवर सीमा को बढ़ाकर अब 1 करोड़ रुपए कर दी गई है। इस स्कीम को लेने वाले कारोबारी 3 महीने पर कुल बिक्री का एक प्रतिशत टैक्स जमा कर रिटर्न फाइल कर सकेंगे। कम्पाउंडिंग डीलरों को दूसरे राज्यों में माल बेचने का अधिकार और इनपुट क्रेडिट का लाभ देने के लिए 5 सदस्यीय मंत्री समूह गठित करने का भी निर्णय आज की बैठक में लिया गया। रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को अगले साल 31 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है।
जीएसटी परिषद के निर्णयों से बिहार के कारोबारियों को सर्वाधिक लाभ pic.twitter.com/9V4406Ccrw
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) October 6, 2017
वैट व्यवस्था में तिमाही रिटर्न फाइल करने की सुविधा थी लेकिन जीएसटी में छोटे-बड़े सभी व्यापारियों को मासिक रिटर्न फाइल करना पड़ रहा था, जिससे छोटे व्यापारियों को काफी परेशानी हो रही थी। इन छोटे कारोबारियों की परेशानी दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने यह मासिक की जगह तिमाही रिटर्न की सुविधा देने का निर्णय लिया है।