नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देश में वस्तु एवं सेवाकर (GST) व्यवस्था लागू होने के बाद समूची अर्थव्यवस्था औपचारिक स्वरूप में आ रही है और व्यावसायियों के लिए अब कर दायरे से बाहर रहना मुश्किल हो रहा है। वस्तु एवं सेवाकर को देश में 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया। इसमें उत्पाद शुल्क और बिक्री कर जैसे कई अप्रत्यक्ष करों को समाहित किया गया है।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक वक्तव्य में कहा गया है कि जीएसटी जैसे ऐतिहासिक कर सुधार के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था को औपचारिक स्वरूप मिला है, इसके बाद सूचना प्रवाह बढ़ने से न केवल अप्रत्यक्ष कर प्राप्ति बढ़ेगी बल्कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी वृद्धि होगी।
जीएसटी लागू होने से पहले केंद्र के पास छोटे विनिर्माताओं और खपत के बारे में काफी कम आंकड़े उपलब्ध थे, क्योंकि उत्पाद शुल्क केवल विनिर्माण के स्तर पर ही लगाया जाता था जबकि राज्यों के पास उनकी स्थानीय फर्मों की राज्य सीमाओं से बाहर होने वाली गतिविधियों के बारे में बहुत कम जानकारी थी।
जीएसटी के तहत अब केंद्र और राज्यों के पास आंकड़ों की साझा जानकारी का निवल प्रवाह उपलब्ध है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्राप्ति अधिक प्रभावी बन रही है। मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी का कर आधार लगातार बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि अब औपचारिक प्रणाली के तहत आने के लिये प्रोत्साहन बढ़ा है। बयान में कहा गया है कि अब उनके लिए कर दायरे से बाहर रहना काफी मुश्किल होता जा रहा है जो कर भुगतान के पात्र हैं।
मंत्रालय का कहना है कि सरकार जीएसटी ढांचे को और अधिक सरल बनाने के लिए कदम उठा रही है ताकि कर भुगतान करने वालों को बेहतर सुविधा दी जा सके और ग्राहकों को उसका लाभ मिल सके।