नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की बैठक के दूसरे दिन केंद्र व राज्यों के बीच कारोबारी छूट सीमा पर सहमति बन गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि बैठक में केंद्र और राज्यों के बीच थ्रेसहोल्ड लिमिट पर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए कारोबार की छूट सीमा 20 लाख रुपए वार्षिक तय की गई है। इसका सीधा मतलब है कि जिन कारोबारियों की सालाना आय 20 लाख रुपए तक है, उन्हें जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों में जीएसटी के लिए कारोबार छूट सीमा 10 लाख रुपए सालाना तय की गई है। बैठक में यह भी तय किया गया कि जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 20 लाख से 1.5 करोड़ रुपए के बीच है, उन पर लगने वाले जीएसटी का आंकलन राज्य सरकार के अधिकारी करेंगे। वहीं 1.5 करोड़ से ज्यादा के कारोबार वाले उद्योग दोहरे नियंत्रण की व्यवस्था में आएंगे।
बैठक में यह भी तय किया कि मुआवजा और जीएसटी दरें लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने का आधार वर्ष (बेस इयर) 2015-16 होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सभी उपकर जीएसटी में समाहित होंगे।
क्या कहा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने
- जीएसटी के लिए कारोबार की छूट सीमा 20 लाख रुपए तय की गई है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों में जीएसटी के लिए कारोबार छूट सीमा 10 लाख रुपए तय की गई है।
- जीएसटी परिषद 17-19 अक्टूबर की बैठक में कर की दर और स्लैब को अंतिम रूप देगी।
- सभी उपकर जीएसटी में समाहित होंगे।
- सालाना 1.5 करोड़ से कम के कारोबार वाली इकाइयों के कर का आकलन राज्यों के दायरे में।
- परिषद की 30 सितंबर को होने वाली अगली बैठक में छूट देने को लेकर नियम मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा।
- जीएसटी टैक्स स्लैब के बारे में निर्णय 17 अक्टूबर से शुरू होने वाली तीन दिन की बैठक में किया जाएगा।