नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की अगली और महत्वपूर्ण बैठक 10 जनवरी को होगी, जिसमें निर्माणाधीन फ्लैट्स और मकान पर जीएसटी की दर घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला हो सकता है। इसके अलावा लघु एवं मझोले उद्यमों को छूट सीमा बढ़ाने पर भी विचार होगा।
22 दिसंबर, 2018 को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाते हुए परिषद ने 23 वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दर को कम कर दिया था। एक अधिकारी ने बताया कि अगली बैठक 10 जनवरी को होनी है। यह परिषद की 32वीं बैठक होगी और इसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री अरुण जेटली करेंगे, जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होंगे।
पिछली बैठक के बारे में बताते हुए जेटली ने कहा था कि अगली बैठक में रिहायसी संपत्तियों पर टैक्स दर को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जाएगा और एमएसएमई के लिए मौजूदा 20 लाख रुपए की टैक्स छूट सीमा बढ़ाने पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा परिषद छोटे आपूर्तिकर्ताओं के लिए कंपोजिशन स्कीम, लॉटरी पर जीएसटी के साथ-साथ विपत्ती उपकर लगाने पर भी विचार करेगी।
अधिकारी ने बताया कि जीएसटी काउंसिल निर्माणाधीन फ्लैट्स और मकानों पर जीएसटी दर को कम कर 5 प्रतिशत करने पर विचार करेगी। वर्तमान में निर्माणाधीन संपत्ति या रेडी-टू-मूव फ्लैट्स, जिनके लिए बिक्री के समय पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं, के लिए भुगतान करने पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। हालांकि, बिक्री के समय पूर्णता प्रमाण पत्र हासिल कर चुकी रियल एस्टेट संपत्ति को खरीदने के लिए किए जाने वाले भुगतान पर जीएसटी नहीं लगता है।
अधिकारी ने कहा कि आदर्शरूप से बिल्डर्स द्वारा इनपुट पर किए गए कर भुगतान के जरिये जीएसटी की 12 प्रतिशत दर पर आंशिक रूप से छूट मिलती है और इसलिए निर्माणाधीन घर खरीदारों के लिए यह वास्तविक दर 5-6 प्रतिशत होती है। हालांकि, बिल्डर्स ग्राहकों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं दे रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि जीएसटी काउंसिल के सामने एक प्रस्ताव यह रखा गया है कि उन बिल्डर्स के लिए जीएसटी की दर 5 प्रतिशत की जाए जो 80 प्रतिशत कच्चा माल पंजीकृत डीलर्स से खरीदते हैं।
जीएसटी व्यवस्था में मंत्रियों का समूह एमएसएमई की समस्याओं पर भी विचार करेगा। वर्तमान में 20 लाख रुपए वार्षिक टर्नओवर वाली इकाइयों को जीएसटी से छूट दी गई है। काउंसिल केवल एमएसएमई के लिए इस सीमा को बढ़ाकर 75 लाख रुपए वार्षिक कर सकती है। इसके अलावा काउंसिल छोटे आपूर्तिकर्ताओं के लिए कंपोजिशन स्कीम पर भी विचार कर सकती है।