नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की आज होने वाली 22वीं बैठक में जीएसटी से जुड़ी परेशानियों का समाधान निकलने की पूरी संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके संकेत दे दिए थे। कंपनी सचिवों के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि जीएसटी काउंसिल को जीएसटी को लेकर व्यापारियों के समक्ष आ रही परेशानियों को खत्म करने के निर्देश दिए गए हैं। पीएम ने यह भी कहा था कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए यदि जरूरत पड़े तो जीएसटी नियमों में संशोधन करने को वो तैयार हैं।
इसके बाद इस बात की संभावना अब और प्रबल हो गई है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक में कारोबारियों को टैक्स के भुगतान और रिटर्न दाखिल करने में आ रही दिक्कत को दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत दे सकती है। माना जा रहा है कि काउंसिल 1.5 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को हर माह जीएसटी के भुगतान और मासिक रिटर्न फाइल करने से छूट दे सकती है।
ऐसा होने पर इन कारोबारियों को तीन महीने में एक बार जीएसटी का भुगतान करना होगा और रिटर्न भी तिमाही फाइल करना होगा। साथ ही काउंसिल कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा 75 लाख रुपए सालाना टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर भी एक करोड़ रुपए कर सकती है।
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी के अनुपालन में छोटे कारोबारियों को राहत देना काउंसिल के एजेंडा में शीर्ष पर है। काउंसिल कंपोजीशन स्कीम की मौजूदा सीमा सालाना 75 लाख रुपए टर्नओवर को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर सकती है। कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत व्यापारियों को एक प्रतिशत, मैन्यूफैक्चरर को दो प्रतिशत और रेस्टोरेंट सेवा देने वालों को पांच प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है। उन्हें जीएसटी का मासिक भुगतान और रिटर्न भी हर माह दाखिल नहीं करना पड़ता। हालांकि कंपोजीशन स्कीम का चुनाव करने वाले व्यापारी टैक्स इन्वॉयस जारी नहीं कर सकते इसलिए वे अपने इनपुट पर दिए गए टैक्स का क्रेडिट प्राप्त नहीं कर सकते।
सूत्रों ने कहा कि काउंसिल सीजीएसटी कानून की धारा 9 (4) के प्रावधानों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक निलंबित रखने के प्रस्ताव पर भी चर्चा कर सकती है। दरअसल इस धारा के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति या कंपनी किसी गैर-पंजीकृत व्यक्ति से ऐसी वस्तु या सेवा खरीदता है, जिस पर जीएसटी देय है तो यह जीएसटी देने की जिम्मेदारी उस पंजीकृत व्यक्ति की होगी जो जीएसटी के तहत पंजीकृत है।