नयी दिल्ली। केंद्र में गठित मोदी सरकार-2 के दूसरे कार्यकाल में जीएसटी परिषद की पहली बैठक 20 जून को आहुत की जाएगी। आम बजट 2019-20 से पहले जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) परिषद की 20 जून को बैठक होने वाली है, जिसमें बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) बिक्री के लिए 50 करोड़ या अधिक के कारोबार वाली कंपनी के लिए केंद्रीकृत सरकारी पोर्टल पर ई-इनवायस (e-invoice) बनाना जरूरी किए जाने पर चर्चा होगी। जीएसटी के मुनाफारोधी निकाय का कार्यकाल आगे बढ़ाना भी परिषद के एजेंडे में शामिल है। जीएसटी की चोरी पर अंकुश लगाने के लिये यह कदम उठाने की योजना है। एक अधिकारी ने यह कहा। इस प्रस्ताव पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की 20 जून को होने वाली अगली बैठक में राज्यों के साथ परामर्श कर निर्णय किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि जीएसटी परिषद के एजेंडे को अंतिम रूप देने पर काम चल रहा है। कारोबार की थ्रेसहोल्ड बढ़ाने और मुनाफारोधी निकाय के कार्यकाल को बढ़ाने पर निश्चित रूप से चर्चा होगी। जीएसटी परिषद की आगामी बैठक काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोदी सरकार के पिछले महीने सत्ता में लौटने के बाद परिषद की यह पहली बैठक होगी। मोदी सरकार दूसरी बार भारी बहुमत से सत्ता में लौटी है। परिषद की बैठक में सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था और मई में उम्मीद से कम जीएसटी संग्रह पर भी चर्चा होगी।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पहली बार इस बैठक की अध्यक्षता करेंगी, जिसमें सभी राज्यों के वित्तमंत्री शामिल होंगे। बी2बी बिक्री के लिए ई-चालान जनरेट करने के लिए कारोबार सीमा को तय करने का प्रस्ताव कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए है। आधिकारिक विश्लेषण में पाया गया है कि जीएसटी भुगतान करनेवाले 50 करोड़ रुपये या अधिक के सालाना कारोबार लगभग 30 फीसदी बी2बी चालान बनाते हैं, जबकि करदाताओं में इनकी संख्या केवल 1.02 फीसदी है। प्रस्तावित कदम से बी2बी बिक्री के लिए ई-चालान बनाने के लिए सभी बड़े व्यवसायों को प्रभावी ढंग से आवश्यकता होगी। चालान अपलोड करने के लिए केंद्रीकृत प्रणाली सितंबर तक लागू होने की उम्मीद है।
नतीजतन, इन फर्मों को रिटर्न दाखिल करने और चालान अपलोड करने के दोहरे प्रक्रियात्मक काम से छूट दी जाएगी। सरकार के दृष्टिकोण से, इससे चालान के दुरुपयोग और कर चोरी को रोकने में मदद मिलेगी। वहीं, विभिन्न उद्योगों को जीएसटी के उच्चतम कर ब्रैकेट में दर में कटौती की उम्मीदें हैं, खासकर वाहन क्षेत्र को, जिसे उम्मीद है कि इससे बिक्री में तेजी आएगी।
कंपनियों की ओर से प्रस्तुत विवरणों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2017-18 में 68,041 कंपनियों ने 50 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार दिखाया। इन कंपनियों का जीएसटी) में योगदान 66.6 प्रतिशत रहा। जीएसटी भुगतान करने वाली कुल इकाइयों में ऐसी कंपनियों का हिस्सा केवल 1.02 प्रतिशत है पर बी2बी इनवॉयस निकालने के मामले में इनकी हिस्सेदारी करीब 30 प्रतिशत है। अधिकारी ने बताया कि जीएसटी परिषद के सहमत होने पर बी2बी बिक्री के लिए ई-इनवॉयस सृजित करने को लेकर इकाइयों के लिए कारोबार सीमा 50 करोड़ रुपए तय की जा सकती है। इस सीमा के साथ बड़े करदाता जिनके पास अपने सॉफ्टवेयर को एकीकृत करने की बेहतर प्रौद्योगिकी है, उन्हें बी2बी बिक्री के लिए ई-इनवॉयस सृजित करना होगा।
ई-इनवॉयस सृजित करने के साथ 50 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार वाली इकाइयों को रिटर्न फाइल करने और इनवॉयस अपलोड करने के दो काम से राहत मिलेगी। वहीं सरकार को इनवॉयस के दुरूपयोग को रोकने तथा कर चोरी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने आगे कहा कि मौजूदा प्रणाली में इनवॉयस सृजित करने और बिक्री रिटर्न भरने के बीच समय का अंतर होता है। मासिक बिक्री सारांश रिटर्न जीएसटीआर 3बी भरने और जीएसटी भुगतान करने वालों की संख्या उन इकाइयों से अधिक है जो आपूर्ति रिटर्न जीएसटी-1 भर रहे हैं। इसमें इनवॉयस के विवरण के साथ विवरण भरा जाता है। विश्लेषण से पता चलता है कि अंतर का कारण इनवॉयस अपलोड करने में कठिनाई या फिर इसके पीछे मकसद इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दुरूपयोग है। मंत्रालय ई-इनवॉयस प्रणाली सितंबर से शुरू करने की योजना बना रहा है।