नई दिल्ली। इस बार सरकार जनता को बजट से पहले ही खुश करने की कोशिश में है। 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से पहले ही माल एवं सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की महत्वपूर्ण बैठक 18 जनवरी को बुलाई गई है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक का प्रमुख एजेंडा रियल एस्टेट को जीएसटी में शामिल करने पर विचार करना है। ऐसा माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए व्यापारियों की समस्याओं का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित होगा। इसके मद्देनजर देशवासियों को कुछ अच्छी खबरें बजट से पहले ही मिल सकती हैं। जीएसटी काउंसिल की बैठक से एक दिन पहले बिस्कुट इंडस्ट्री ने जीएसटी की दर 12 प्रतिशत करने की मांग की है। जीएसटी काउंसिल इस मांग पर भी सकारात्मक रुख दिखा सकती है।
देश के बिस्कुट विनिर्माताओं ने सरकार से बिस्कुट पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की दर को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने की मांग की है। विनिर्माताओं का कहना है कि दर कम होने से उद्योग का विकास होगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा। बिस्कुट विनिर्माताओं का कहना है कि बिस्कुट आम आदमी का आहार है। रिक्शाचालक से लेकर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले बिस्कुट खाते हैं। बिस्कुट एक साफ-सुथरा और पोषक आहार है जो कि सस्ती दर पर उपलब्ध होता है, लेकिन इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगने से लागत बढ़ गई है।
भारतीय बिस्कुट विनिर्माता संघ (आईबीएमए) के अध्यक्ष बीपी अग्रवाल ने कहा कि ऊंची दर से जीएसटी लगने के कारण इस उद्योग की वृद्धि धीमी पड़ गई है। आईबीएमए के महासिचव केपी मोहनदास ने कहा कि देश का बिस्कुट उद्योग 30,000 करोड़ रुपए का है, जो कि पिछले कुछ सालों से 10 से 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है। इसमें 7.5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है जबकि 30 से 35 लाख लोग बिस्कुट उत्पादन से लेकर इसके बिक्री कारोबार तक समूची श्रृंखला से जुड़े हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की कल होने वाली बैठक में एक दर्जन से अधिक मुद्दों को विचारविमर्श के लिए रखा जाएगा। अधिकारी ने बताया कि काउंसिल पांच-छह उत्पादों पर टैक्स की दर को तर्कसंगत बना सकती है। यह उत्पाद ऐसे उपकरणों से संबंधित हैं, जिनका उपयोग कृषि में होता है। बैठक के एजेंडे में जीएसटी कानून में संशोधन को भी रखा गया है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि कल की बैठक में डिजिटल कैमरों, कृषि उत्पादों, इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स की दर कम करने पर फैसला हो सकता है। इसके अलावा कंपोजिशन स्कीम की सीमा को 1.5 करोड़ रुपए से आगे बढ़ाया जा सकता है। रिटर्न फाइल करने के लिए विभिन्न फॉर्म को खत्म कर एक सिंगल फॉर्म पेश किया जा सकता है। एक फरवरी से लागू होने वाले ई-वे बिल को लेकर रोडमैप सामने आ सकता है और इनपुट टैक्स क्रेडिट से जुड़े कुछ प्रतिबंध भी खत्म हो सकते हैं।