नई दिल्ली। आज (21 जून 2019) जीएसटी परिषद की बैठक में सरकार उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दे सकती है। बैठक में एसी, वाहन उपकरणों, सीमेंट जैसे उत्पादों को 28 फीसदी की उच्चतम स्लैब से नीचे लाने पर विचार किया जा सकता है। साथ ही प्रदूषण पर मोदी सरकार 'सर्जिकल स्ट्राइक' करने की तैयारी में है, सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर बड़ी घोषणा कर सकती है। आज होने वाली जीएसटी काउंसिल की यह 35वीं बैठक है। काउंसिल की मीटिंग में जहां एंटी प्रोफिटियरिंग अथॉरिटी के कार्यकाल को 30 नवंबर 2020 तक एक्सटेंशन मिलने को मंजूरी मिल सकती है। नए रिटर्न फाइलिंग सिस्टम, जीएसटी कलेक्शल बढ़ाने के उपायों के अलावा बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) बिक्री के लिए 50 करोड़ या अधिक के कारोबार वाली कंपनी के लिए केंद्रीकृत पोर्टल पर ई-इनवायस बनाना जरूरी किए जाने पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। बैठक में आम लोगों के रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी कई चीजें सस्ती हो सकती हैं। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश होने से पहले ही आम लोगों को राहत मिल सकती है।
कुछ राज्यों ने पहले ही उपभोक्ताओं के सीधे इस्तेमाल से जुड़े उत्पादों पर जीएसटी घटाने की मांग की है। अभी जीएसटी की सबसे ऊंची स्लैब में 28 उत्पाद हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी राजस्व संग्रह लगातार दो माह से एक लाख करोड़ रुपये के ऊपर हैं, ऐसे में करों में कमी की थोड़ी-बहुत गुंजाइश बनती है। बैठक में बैटरी चालित दोपहिया और चार पहिया वाहनों की GST दरों में कटौती होने के आसार हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी हो सकती है। जानकारों का कहना है कि दरें घटने के बाद ई स्कूटर की कीमतें 5 हजार रुपए तक सस्ती हो सकती हैं, वहीं ई कार की कीमतों में 1 लाख रुपए तक की कमी होने की संभावना है।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आहट के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद (GST Council) की यह पहली बैठक होगी। पिछली सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने कर संग्रह में स्थिरता के बाद 12 और 18 फीसदी की जीएसटी स्लैब को मिलाकर एक दर तय करने का संकेत दिया था। आने वाले वक्त में जीएसटी परिषद इस ओर भी कदम उठा सकती है। उद्योग संगठनों का भी कहना है कि आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए त्वरित उपायों की जरूरत है। अन्यथा उत्पादन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में नरमी से रोजगार में और कमी आ सकती है। दूरसंचार, रियल्टी एस्टेट के बाद वाहन उद्योग में 18 साल की सबसे कम बिक्री ने भी खतरे की घंटी बजा दी है। रोजमर्रा के उत्पादों से जुड़ी कंपनियों ने भी आखिरी तिमाही में खराब प्रदर्शन किया है, जो ग्रामीण इलाकों में कम खपत और कमजोर मांग का संकेत देता है। विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई रेपो दर में लगातार तीसरी कटौती कर अहम फैसला ले चुका है और जीएसटी परिषद प्रोत्साहन को और आगे ले जा सकती है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में इन फैसलों पर रहेगी नजर
- GST Council बैठक आज (21 जून 2019, शुक्रवार) दोपहर 2 बजे से शुरू होगी
- बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) करेंगी
- बैठक में जीएसटी की दरों को लेकर बड़ा फैसला होने की संभावना
- कई वस्तुएं 28 फीसदी के स्लैब से हो सकती हैं बाहर
- हर राज्य में GST अपीलेट ट्रिब्यूनल के गठन पर भी विचार संभव
- 50 करोड़ रुपए से अधिक के B2B डील में ई-इनवॉइसिंग अनिवार्य करने पर मुहर संभव
- इलेक्ट्रिक बाइक और स्कूटर पर 12 के बजाए 5 फीसदी GST करने पर विचार संभव
- GST घटने से विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियों का निवेश बढ़ सकता है
- कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट पर जीएसटी घटाने पर विचार हो सकता है। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों ने बड़ी स्क्रीन वाले टीवी सेट, एयर कंडिशनर (एसी) और रेफ्रिजरेटर पर जीएसटी की दर को घटाकर 12 फीसदी करने की मांग की है। अभी 32 इंच से अधिक स्क्रीन आकार के टीवी पर 28 फीसदी और 32 इंच या इससे कम आकार के टीवी पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है।
- डॉक्टरों ने जीएसटी काउंसिल से अनुरोध किया है कि सभी तंबाकू उत्पादों को 'डिमैरिट गुड्स' मानते हुए इन पर 28 फीसदी टैक्स और इसके अलावा अधिकतम उपकर लगाया जाए। इससे ना सिर्फ तंबाकू उत्पादों के उपभोग में कमी आएगी, बल्कि सरकार के राजस्व संग्रह में भी बढ़ोतरी होगी।
- सरकारी और प्राइवेट लॉटरी पर एक दर तय करने की मांग हो रही है, जिस पर विचार हो सकता है। अभी सरकारी लॉटरी पर 12 फीसदी, जबकि प्राइवेट लॉटरी पर 28 फीसदी जीएसटी है।
जनवरी में 23 उत्पादों पर राहत मिली थी
इससे पहले दिसंबर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में 23 उत्पादों पर टैक्स घटाया गया था। इसमें 32 इंच तक के टीवी, फ्रिज समेत सात उत्पादों को 28 फीसदी की टैक्स स्लैब से बाहर लाया गया है। हालांकि सीमेंट, वाहन उपकरण औऱ तंबाकू जैसे उत्पाद सबसे ऊंची स्लैब में ही है।
उत्पादन और खपत दोनों को बढ़ाने की रणनीति
केंद्र सरकार का मानना है कि करों में कमी लाकर उत्पादन और खपत दोनों को बढ़ावा दिया जा सकता है। अगर उत्पादों की बिक्री बढ़ती है तो कंपनियां ज्यादा विनिर्माण को प्रोत्साहन होंगी, जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा। वित्त वर्ष 2018-19 की आखिरी तिमाही में विकास दर 5.8 फीसदी रही है, जो पांच साल में सबसे कम जीडीपी वृद्धि दर है।
राजस्व सुधरने से उम्मीद बढ़ी
जीएसटी राजस्व लगातार तीसरे माह एक लाख करोड़ रुपये के पार रहा है। मई में यह एक लाख 289 करोड़ रुपये रहा। ऐसे में कर राहत की उम्मीद बढ़ी है।