नई दिल्ली। राष्ट्रव्यापी बंद के बाद देश भर में आर्थिक गतिविधियां बंद होने से जीएसटी संग्रह में भारी गिरावट आई है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने पर गौर कर सकती है। कोरोनावायरस के संकट के बाद शुक्रवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की पहली बैठक हुई। बैठक में जनता को राहत पहुंचाने के लिए कई निर्णय लिए गए।
बैठक के बाद वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि परिषद ने जुलाई में सिंगल एजेंडा के साथ मुआवजा उपकर पर चर्चा करने के लिए फिर से बैठक करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि राज्यों की मुआवजा की जरूरतों पर विचार के लिए यह विशेष बैठक होगी। वित्तमंत्री ने कहा कि अगर राज्यों को मुआवजा देना पड़ा तो यह किसी न किसी तरह से कर्ज हो जाएगा। उन्होंने सवाल किया कि इसे कैसे और कौन चुकाएगा। ऐसे सवालों के जवाब तलाशने पर ही बैठक होगी
जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद इसमें निहित कानून के तहत, राज्यों को पहले पांच वर्षों के लिए किसी भी राजस्व हानि के लिए पूर्ण मुआवजे की गारंटी दी गई है। मुआवजा वास्तविक राजस्व और अनुमानित राजस्व के बीच का अंतर है। अनुमानित राजस्व आधार वर्ष 2015-16 में राज्यों के लिए प्रति वर्ष 14 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि है।
जीएसटी अधिनियम के अनुसार, राज्यों को पूर्ण मुआवजे का भुगतान वित्त वर्ष 2022 तक पांच वर्ष के लिए केवल उस क्षतिपूर्ति निधि के माध्यम से किया जाना चाहिए, जो कुछ वस्तुओं पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर के माध्यम से फंड प्राप्त करता है। हालांकि अगस्त 2019 से पर्याप्त संग्रह नहीं मिल रहा है और राज्यों को जीएसटी मुआवजा मिलने में भी देरी हुई है। अब केंद्र मुआवजे के लिए जीएसटी परिषद में एक तंत्र स्थापित करने पर विचार कर रहा है। जीएसटी राजस्व पर स्थिति अप्रैल के महीने में खराब हो गई है। कई राज्यों को इस वर्ष के दौरान औसत मासिक संग्रह में 80 से 90 प्रतिशत तक कमी झेलनी पड़ी है।
दिल्ली सरकार ने कहा है कि उसका जीएसटी संग्रह पिछले साल अप्रैल महीने में 3,500 करोड़ रुपये के संग्रह के मुकाबले इस बार अप्रैल में महज 300 करोड़ रुपये तक गिर सकता है। इसके अलावा तमिलनाडु, असम, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी कोविड-19 के कारण लागू राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान आर्थिक गतिविधियों में कमी रहने से गंभीर राजस्व गिरावट देखने को मिला है। यह समस्या मई में भी जारी रही है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि 2020-21 में राज्यों के लिए मासिक मुआवजे की आवश्यकता 20,250 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। वित्त वर्ष 2021 में भी मासिक उपकर 7,000-8,000 करोड़ रुपये या उससे कम हो सकता है।