नई दिल्ली। पेट्रोल, डीजल और नेचुरल गैस के गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के दायरे में नहीं होने की वजह से इनपर टैक्स का जो बोझ बड़ा है उसे कम करने के लिए पिछले हफ्ते GST काउंसिल ने इनसे जुड़ी कुछ सेवाओं पर फैसला किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक यह फैसला पेट्रोलियम सेक्टर में निवेश बढ़ाने के लिए भी लिया गया है।
फैसले के तहत समुद्र में 12 नॉटिकल माइल से ज्यादा दूरी वाले क्षेत्र में तेल और नेचुरल गैस उत्पादन के लिए दिए गए वर्क कॉन्ट्रेक्ट की सेवा और इससे जुड़ी सेवाओं पर 12 फीसदी गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होगा।
नेचुरल गैस की पाइपलान के जरिए ट्रांसपोर्टेशन पर बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के 5 फीसदी GST लागू होगा और फुल इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 12 फीसदी जीएसटी लागू होगा।
तेल और नेचुरल गैस के खनन में इस्तेमाल होने वाले सामान के लीज के तहत आयात को पूरी तरह से IGST से बाहर रखा गया है।
बंकर फ्यूल पर जीएसटी की दर को घटाकर 5 फीसदी करने का फैसला हुआ है और यह दर विदेश जाने वाले वैसेल के साथ तटीय वैसेल पर भी लागू होगी। इन सभी बदलावों को लेकर CBEC की तरफ से अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है।