नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) से जुड़े सारे फैसले लेने वाली काउंसिल (GST काउंसिल) की 25वीं बैठक आज होने जा रही है और आज की बैठक में कई वस्तुओं और सेवाओं पर पर टैक्स घटाने या बढ़ाने को लेकर फैसला हो सकता है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि GST काउंसिल पेट्रोल और डीजल पर भी चर्चा कर सकती है।
पेट्रोल डीजल को GST के दायरे में लाने पर कई बार बयान दे चुके हैं वित्त मंत्री
देश में पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों को देख लगातार मांग उठ रही है कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को भी गुड्स एंड सर्विस टैक्स के दायरे में कर दिया जाए। कई बार देश के वित्त मंत्री और पेट्रोलिय मंत्री इसके समर्थन में बयान दे चुके हैं। हालांकि पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में रखा जाए या नहीं इसपर अंतिम फैसला GST काउंसिल को ही करना है और GST काउंसिल अगर पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में करती है तो इससे इनकी कीमत में भारी कटौती हो जाएगी।
GST के तहत आने पर पेट्रोल-डीजल पर होगा अधिकतम 28% टैक्स
GST के तहत अधिकतम 28 प्रतिशत ही टैक्स लगाया जा सकता है और पेट्रोल और डीजल पर अगर अधिकतम दर से टैक्स लगाया जाए तो भी इसपर मौजूदा समय में लगने वाले अन्य टैक्स से कम ही पड़ेगा जिससे आम जनता को पेट्रोल और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों से राहत मिल सकती है। मौजूदा व्यवस्था के तहत पेट्रोल और डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगती है इसके अलावा हर राज्य अपने स्तर पर सेल टैक्स लगातार है साथ में पेट्रोल पंपर के डीलर का कमिशन भी जोड़ा जाता है।
राज्यों की कमाई का बड़ा हिस्सा पेट्रोल-डीजल से आता है
पेट्रोल और डीजल को को GST के दायरे में लाने से पहले सभी राज्यों के बीच सहमति बनना जरूरी है। मौजूदा समय में सभी राज्यों की कमाई का बड़ा जरिया पेट्रोल और डीजल हैं। हर राज्य अपनी जरूरत के मुताबिक पेट्रोल और डीजल पर सेल टैक्स लगाता है। देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल पर 27 प्रतिशत और डीजल पर 17.32 प्रतिशत सेल टैक्स है। पेट्रोल और डीजल पर सबसे ज्यादा सेल टैक्स देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में है जहां पेट्रोल पर 40.71 प्रतिशत और डीजल पर 24.94 प्रतिशत सेल टैक्स लिया जाता है। इसके अलावा महाराष्ट्र के दूसरे हिस्सों में पेट्रोल पर 39.69 और डीजल पर 22.06 प्रतिशत सेल टैक्स लिया जाता है। इनके अलावा आंध्र प्रदेश, असम, केरल, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडू, तेलंगाना, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी पेट्रोल पर सेल टैक्स 30 प्रतिशत से ज्यादा है।
केंद्र राज्यों के घाटे की भरपायी के लिए राजी होगा तो राज्य हो सकते हैं सहमत
सभी राज्यों की कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले इसी सेल टैक्स से आता है ऐसे में राज्यों के बीच पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने को लेकर सहमति बनने की संभावना कम है। राज्य इसपर तभी सहमत होंगे जब केंद्र उनको होने वाले घाटे की भरपायी करने की भरोसा देगा। मौजूदा आर्थिक हालात में केंद्र भी घाटे की भरपायी करने में सक्षम नजर नहीं आ रहा है। यानि इस बात की संभावना बहुत कम है कि पेट्रोल और डीजल GST के दायरे में आएंगे और उनकी कीमतें घटेंगी।