नई दिल्ली। माल एवं सेवा कर (GST) परिषद की 24वीं बैठक शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में आयोजित होगी। यह बैठक पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये होगी। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि यह बैठक बहुत अर्जेंट बुलाई गई है, जिससे सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों के यहां पहुंचना संभव नहीं है। बैठक में एक जनवरी से ई-वे बिल को लागू करने पर फैसला हो सकता है।
इंटर स्टेट बिक्री के दौरान संभावित कर चोरी के बढ़ते मामलों से सरकार चिंतित है। जीएसटी परिषद की अंतिम बैठक 9 और 10 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित हुई थी। जिसमें बहुत से उत्पादों पर जीएसटी कम करने और प्रक्रिया को आसान बनाने वाली घोषणाएं की गई थीं।
इस बैठक में व्यवस्था की कमियों को दुरुस्त करने के साथ-साथ कर चोरी को रोकने पर विचार- विमर्श किया जाएगा। माल एवं सेवाकर के संग्रहण में अक्टूबर में सितंबर के मुकाबले 12,000 करोड़ रुपए की कमी दर्ज की गई है, जिस पर बैठक में महत्वपूर्ण तौर पर विचार-विमर्श किया जाएगा। परिषद का मानना है कि कर चोरी इसकी एक प्रमुख वजह है। कर वसूली में गिरावट के मद्देनजर कल होने वाली बैठक में ई-वे बिल लागू करने इसकी समय सीमा पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
अक्टूबर में जीएसटी वसूली 83,346 करोड़ रुपए रही। यह सितंबर की 95,131 करोड़ रुपए की वसूली से काफी कम है। जीएसटी के तहत 50,000 रुपए से अधिक के माल को दूसरी जगह भेजने के लिए ई-वे बिल के माध्यम से नेटवर्क को सूचित करने की जरूरत होगी। पर राज्य के भीतर ही दस किलो मीटर के दायरे में माल लाने ले जाने के लिए आपूर्तिकर्ता या ट्रांसपोर्टर को उसकी सूचना जीएसटी पोर्टल पर देने की जरूरत नहीं है।
इससे पहले गुरुवार को फिक्की के एक कार्यक्रम में बोलते हुए बिहार के वित्त मंत्री और जीएसटी परिषद के सदस्य सुशील मोदी ने कहा था कि बिजली, रियल एस्टेट, स्टाम्प ड्यूटी और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने के लिए परिषद जल्द ही विचार करेगी। जीएसटी परिषद इसके लिए प्रयासरत है। हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा बताने से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि इन चीजों को जीएसटी में संविधान में संशोधन के बिना शामिल किया जाएगा।