नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) के लागू होने पर लग्जरी कारें, एफएमसीजी उत्पाद, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और सिलेसिलाए परिधान सस्ते होंगे। हालांकि मोबाइल फोन बैंकिंग और बीमा सेवाएं, टेलीफोन बिल और हवाई यात्राओं के लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। जीएसटी के एक अप्रैल, 2017 से लागू होने की संभावना है। जीएसटी के तहत विनिर्मित वस्तुओं पर शुल्क कम हो जाएगा जबकि उपभोक्ताओं पर सेवा कर का बोझ बढ़ेगा, क्योंकि यह उपभोग आधारित कर है। सरकार को उम्मीद है कि वस्तु एवं सेवा कर के लाभ आम आदमी तक पहुंचेंगे।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा, कुल मिला कर जीएसटी से आम आदमी पर करों का बोझ कम होगा। पर जब तक कर की दरों का ढांचा तय नहीं हो जाता तब तक यह नहीं कहा जा सकता कि किस सामान पर राहत मिलेगी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को भारत में अब तक के सबसे शक्तिशाली कर सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। इसके जरिए विभिन्न किस्म के वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली खत्म हो जाएगी और ये सभी एक ही दर पर उपलब्ध होंगे। सरकार एक अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू करने की योजना बना रही है जो उत्पादन आधारित मौजूदा कराधान प्रणाली को उपभोक्ता आधारित कराधान में तब्दील करेगा।
कर विशेषज्ञों ने कहा कि जीएसटी लागू होने से मौजूदा प्रणाली की वह कमी खत्म हो जाएगी जिसमें कर पर कर लगने से करों का प्रभाव बढ़ने की समस्या खत्म हो जाएगी। इससे विभिन्न किस्म के उत्पादों की कीमत कम करने में मदद मिलेगी जिनमें एफएमसीजी से लेकर टिकाऊ उपभोक्ता और इलेक्ट्रानिक से लेकर रेडीमेड कपड़े तक शामिल होंगे। दूसरी ओर कुछ ऐसी वस्तुएं होगी जिन पर फिलहाल कम शुल्क लगता है, मसलन छोटी कारें जिन पर सिर्फ आठ प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगता है। इन पर जीएसटी का असर लगभग विपरीत हो सकता है। लेकिन एसयूवी और बड़ी कारें जिनमें पर 27-30 फीसदी उत्पाद शुल्क लगता है, इनकी कीमत में गिरावट हो सकती है।
कर विशेषज्ञों ने कहा कि एंबुलेंस सेवा जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सांस्कृतिक गतिविधियां, कुछ तीर्थ यात्राएं और खेल संबंधी समारोह जिन्हें शुल्क में छूट है, वे मंहगी हो जाएंगी क्योंकि इन पर शुल्क बढ़कर 18-22 फीसदी हो जाएगा जो फिलहाल 14.5 फीसदी है। इस तरह बाहर खाना, यात्रा करना, टेलीफोन बिल, बैंकिंग एवं बीमा सेवाएं, टैक्सी सेवा, ब्राडबैंड, थियेटर में फिल्म देखना, ब्रांडेड जेवरात और आईपीएल जैसे लोकप्रिय खेल समारोह मंहगे हो जाएंगे। जीएसटी प्रणाली में विनिर्मित उपभोक्ता उत्पाद सस्ते होंगे क्यों कि उससे उत्पाद शुल्क और वैट का आघात कम होगा जो इस समय 25-26 प्रतिशत बनता है लेकिन सेवाओं पर कर बढ़ेगा जो अभी 15 फीसदी है।