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जीएसटी बिल को राज्यसभा की इस सप्ताह की कार्यसूची में रखा जा सकता है, राज्यों के वित्तमंत्रियों से मिलेंगे जेटली

सरकार लंबे समय से अटके जीएसटी बिल को इस सप्ताह राज्यसभा में बहस के लिए सदन की कार्यसूची में रखवा सकती है। राज्यों के वित्तमंत्रियों से मिलेंगे जेटली।

Dharmender Chaudhary
Updated : July 24, 2016 15:19 IST
Monsoon Session: राज्यसभा में इस हफ्ते पेश हो सकता है जीएसटी बिल, राज्यों के वित्तमंत्रियों से मिलेंगे जेटली
Monsoon Session: राज्यसभा में इस हफ्ते पेश हो सकता है जीएसटी बिल, राज्यों के वित्तमंत्रियों से मिलेंगे जेटली

नई दिल्ली। सरकार लंबे समय से अटके वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी बिल) को इस सप्ताह राज्यसभा में बहस के लिए सदन की कार्यसूची में रखवा सकती है। इससे पहले वित्त मंत्री इस मुद्दे पर वित्त मंत्री अरूण जेटली मंगलवार को जीएसटी बिल पर राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक करने वाले हैं। वित्त मंत्री जेटली इस बीच इस विधेयक पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सहमत कराने के लिए पर्दे के पीछे उसके नेताओं से लगातार सम्पर्क में हैं। जेटली जीएसटी पर राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति के साथ बैठक में लोकसभा में पारित जीएसटी बिल में प्रस्तावित संशोधनों पर विचार विमर्श करेंगे।

आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में संविधान संशोधन विधेयक में संशोधन की कांग्रेस की मांगों विचार किया जा सकता है। कांग्रेस की इन मांगों में राज्यों को एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर लगाने की छूट का प्रावधान रद्द करने की मांग भी शामिल है। राज्यों से इस बारे में व्यापक विचार लेने के बाद जीएसटी विधेयक को राज्यसभा की कार्यसूची में शामिल किया जाएगा।

संसदीय मामलों के राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गत शुक्रवार को राज्य सभा में अगले सप्ताह के सरकारी कामकाज की सूची जारी करते हुए कहा था कि जीएसटी को अगले (इस) सप्ताह चर्चा के लिए रखा जाएगा। उन्होंने कि यह (विषय) लोक सभा द्वारा यथा पारित एवं राज्य सभा की प्रवर समिति के प्रतिवेदन के अनुसार संविधान के 122वें संशोधन विधेयक-2014 पर आगे चर्चा और उसे पारित कराने का है।

सबसे पहले जीएसटी का विचार कांग्रेस ने ही 2009 में पेश किया था। इस समय लागू विभिन्न अप्रत्यक्ष करों की जगह जीएसटी प्रतिस्थापित करने की योजना है।

कांग्र्रेस की मांग है कि संशोधन के जरिए संविधान में ही जीएसटी की दर पर 18 प्रतिशत की अधिकतम सीमा बांध दी जाए। साथ ही पार्टी विनिर्माण करने वाले राज्यों की राजस्व हानि की भरपाई के लिए एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर के प्रावधान को भी समाप्त करने की मांग। इसके अलावा कांग्रेस चाहती है कि राज्यों के बीच राजस्व भागीदारी से संंबंधित विवादों के निपटान के लिए एक स्वतंत्र व्यवस्था बनाई जाए।

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