नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार से आग्रह किया है कि वह राज्य वस्तु एवं सेवा कर (SGST) अधिनियम को एक जुलाई से पहले पारित कर दे। जम्मू-कश्मीर अकेला ऐसा राज्य है, जिसने अभी तक इस अधिनियम को विधानसभा में पारित नहीं करवाया है।
जेटली ने कहा कि स्टेट जीएसटी को समय से पारित कराने में विफल रहने से राज्य के लोगों और व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव होगा। उन्होंने आगे कहा कि यदि जेएंडके जीएसटी से बाहर रहता है, तो इससे राज्य में बाहर से आने वाली कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि होगी। इसके अलावा जेएंडके से अन्य राज्यों में बेचे जाने वाले उत्पादों की कीमतें भी बढ़ जाएंगी। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
जेटली ने महबूबा मुफ्ती को लिखे पत्र में कहा कि जीएसटी के तहत उत्पाद या सेवाओं का कोई भी डीलर जो अन्य राज्य से इनकी आपूर्ति हासिल करता है उसे इंटीग्रेटेड जीएसटी का भुगतान करना होता है लेकिन वह इस बिक्री पर क्रेडिट लेने के लिए सक्षम होगा, यदि उसपर पहले टैक्स दिया जा चुका है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि यदि राज्य जीएसटी के क्षेत्र से बाहर बना रहता है तो वहां के डीलर आईजीएसटी क्रेडिट का फायदा नहीं उठा पाएंगे। आईजीएसटी क्रेडिट के मुकाबले अंतिम कर दायित्व को कम करने में असमर्थ रहने से राज्य में अंतिम उपभोक्ताओं के लिए वस्तु या सेवा की कीमत में टैक्स की बढ़ोतरी होगी।
संविधान के नियमों के मुताबिक, जेटली ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे राज्य की विशेष संवैधानिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कोई भी संशोधन के साथ अपनी सहमति प्रदान करें।