नई दिल्ली। सेंट्रल जीएसटी दिल्ली वेस्ट कमिश्नरेट ने 831.72 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का खुलासा किया है। अधिकारियों ने बताया कि पान मसाला का निर्माण और उसकी अवैध आपूर्ति करने वाली एक फैक्ट्री द्वारा बिना रजिस्ट्रेशन करवाए और टैक्स दिए बगैर ही जीएसटी रिफंड हासिल किया गया। जीएसटी अधिकारियों ने इस मामले में एक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया है।
सरकार ने अबतक की सात हजार पर कार्रवाई, 185 गिरफ्तार
सरकार ने विभिन्न एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों और सूचनाओं के आधार पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) चोरी करने वालों के खिलाफ सख्ती का अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत 7,000 उद्यमियों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिसमें 187 को गिरफ्तार किया गया है। वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने कहा कि इस अभियान के चलते सरकार के कर राजस्व में तेजी से सुधार आया है। सरकार को दिसंबर 2020 में 1.15 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी प्राप्ति हुई। यह राशि किसी एक महीने में अब तक की सबसे अधिक जीएसटी प्राप्ति है। इसके लिए कर चोरों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई और अर्थव्यवस्था में आ रहे सुधार को मुख्य वजह माना जा रहा है।
पांडे ने कहा कि पिछले डेढ़ माह के दौरान जीएसटी के फर्जी बिलों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई के चलते पांच चार्टर्ड अकाउंटेंट और एक कंपनी सचिव सहित कुल 187 गिरफ्तारियां हुई हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कई लोग जिनमें कुछ प्रबंध निदेशक भी हैं पिछले 40- 50 दिन से जेल में हैं। इनमें कुछ बड़ी कंपनियां भी हैं जो कि कई स्तरीय लेनदेन के जरिये फर्जी बिलों के घोटाले में लिप्त पाई गईं। ऐसा कर ये कंपनियां जीएसटी और आयकर की चोरी कर रही थीं। इस लिए उनके खिलाफ भी मामले दर्ज किए गए हैं।
पांडे ने कहा कि हमने 1.20 करोड़ के कर आधार में से 7,000 कर चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है। इस लिहाज से हमारी सफलता की दर काफी ऊंची है। पांडे वित्त सचिव के साथ ही राजस्व सचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि जो भी कार्रवाई की गई है वह सरकार की विभिन्न एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर की गई है। इनमें आयकर विभाग, सीमा शुल्क इकाई और एफआईयू, जीएसटी विभाग तथा बैंक आदि शामिल हैं। यह कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ की गई जिन्होंने व्यवस्था का दुरुपयोग किया है।
वित्त सचिव ने कहा कि एक अप्रैल से पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले सभी बी2बी लेनदेन पर ई-चालान को अनिवार्य कर दिया जाएगा। इससे पहले एक अक्ट्रबर 2020 से 500 करोड़ रुपये से अधिक कारोबार करने वाली कारोबारों के लिए इलेक्ट्रॉनिक बिल अनिवार्य किया गया, जबकि एक जनवरी से 100 करोड़ रुपये से अधिक कारोबार करने वाली इकाईयों के लिए इसे अनिवार्य बनाया गया। पांडे ने कहा कि इस प्रावधान के जरिये मुखौटा कंपनियों को लक्ष्य बनाया गया है।