नयी दिल्ली। वार्षिक माल एवं सेवाकर (जीएसटी) रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख तीन महीना बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसकी वजह रिटर्न दाखिल करने में कर दाताओं को पेश आ रही तकनीकी दिक्कतें बतायी गयी हैं। बता दें कि सरकार जीएसटी का वार्षिक रिटर्न फार्म जीएसटीआर-9 जारी कर चुकी है। यह 2017-18 के लिए भरा जाएगा। इससे पहले वार्षिक जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 अगस्त थी।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (CBIC) ने एक बयान में कहा कि आकलन वित्त वर्ष 2017-18 के लिए फॉर्म जीएसटीआर-9/जीएसटीआर-9ए में वार्षिक रिटर्न और फॉर्म जीएसटीआर-9सी में समाधान विवरण दाखिल करने की अंतिम तिथि को 31 अगस्त 2019 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2019 कर दिया गया है।
जीएसटीआर-9 वह रिटर्न फार्म है, जो जीएसटी सिस्टम में रजिस्टर्ड कारोबारियों को हर साल के अंत में भरना पड़ता है। कारोबारी ने अपने साल भर के व्यापार के दौरान जो मासिक या तिमाही रिटर्न (जीएसटीआर-1,2,3,4 और 8) भरे होते हैं, उन सभी जानकारियों का इकट्ठा विवरण इसमें दर्ज करना होता है। कंपोजिशन स्कीम, ई कॉमर्स ऑपरेटर्स को भी यह रिटर्न भरना अनिवार्य है।
ऑडिट से बचना है तो सभी तथ्य फार्म में एक बार भरें
जीएसटी संवेदनशील विधिक प्रक्रिया है, जिसमें जरा सी कमी फ्रॉड की श्रेणी में आ सकती है। जीएसटी एक्ट के अंतर्गत 31 दिसंबर तक रिटर्न भरे जाने होते हैं, लेकिन सरकार द्वारा समयावधि 30 नवंबर तक बढ़ाकर कर दाताओं को लाभान्वित किया गया है, लेकिन 72 महीने की अवधि विलंब होने पर खाते सीज हो सकते हैं।
अगर जीएसटी ज्यादा वसूला गया है तो वह जब्त होगा और कम जमा किया गया है तो वह वसूले जाने का प्रावधान है। दोबारा ऑडिट से बचने के लिए सभी तथ्य फार्म में एक साथ ही भरें तथा जीएसटी रजिस्ट्रेशन में पैन के स्थान पर टेन का प्रावधान दिया जाना उचित होगा।
कर माफी स्कीम एक सितंबर से
वहीं दूसरी ओर, सेवा कर और उत्पाद शुल्क माफी योजना के तहत करदाता को दी जाने वाली राहत पर अधिकृत समिति 60 दिन में फैसला करेगी। राजस्व विभाग ने सोमवार को यह बात कही। सबका विश्वास-विरासत विवाद निपटान योजना, एक सितंबर 2019 से चार महीने के लिए परिचालन में आएगी। इस योजना का मकसद विरासत वाले सेवा कर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के मामलों में कमी लाना है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने योजना के बारे में बार-बार पूछे जाने वाले सवालों (एफएक्यू) पर स्पष्टीकरण में कहा कि इसके तहत सभी मामलों में ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट दी जाएगी। साथ ही इसमें अभियोजन से भी छूट मिलेगी।