नई दिल्ली। भारतीय आईटी कंपनियों की ओर से काम के लिए अस्थायी तौर पर भेजे जाने वाले पेशेवरों पर अमेरिका में वीजा शुल्क वृद्धि को भेदभावपूर्ण करार देते हुए उद्योग मंडल फिक्की ने आज कहा कि इस कदम का दोनों देशों के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध बनाने के लिए भारत और अमेरिका द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव होगा। फिक्की ने कहा कि इस तरह के कानून से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि भी प्रभावित होगी क्योंकि इससे भारतीय आईटी फर्मों की ओर से अमेरिका को मिलने वाले भारी कर राजस्व प्रभावित होगा।
उद्योग मंडल ने एक बयान में कहा कि फिक्की को लगता है कि जेम्स डैड्रोगा 9-11 स्वास्थ्य एवं मुआवजा कानून के लिए एच-1बी और एल-1 वीजा पर विशेष शुल्क में वृद्धि से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि प्रभावित होगी और यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए भेदभावपूर्ण होगा। अगला वार्षिक एच-बी वीजा दाखिल सत्र शुरू होने पर एक अप्रैल से भारतीय आईटी कंपनियों को एच-1बी वीजा के लिए प्रति वीजा 8,000 डॉलर से 10,000 डॉलर का भुगतान करना पड़ेगा, जिससे उनके लिए आर्थिक रूप से टिके रहना काफी मुश्किल हो जाएगा। वास्तव में एच-1बी वीजा आवेदन का मूल शुल्क 325 डॉलर है। भारत इस संबंध में अमेरिका के साथ लंबे समय से बातचीत कर रहा था, लेकिन अमेरिका ने भारत की चिंता को दरकिनार करते हुए वीजा फीस में यह वृद्धि की है।