नई दिल्ली। सरकारी बैंकों की एसेट क्वालिटी में सुधार देखने को मिल रहा है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्य सभा को जानकारी दी कि बैंकों के ग्रॉस एनपीए घटकर सितंबर 2020 में 6.09 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर आ गए हैं। जो कि मार्च 2018 में 8.96 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर थे। वित्त राज्य मंत्री के मुताबिक मार्च 2018 से लेकर सितंबर 2020 तक रिकॉर्ड 2.54 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की गई है। वहीं 12 सरकारी बैंकों में से 11 बैंकों ने 2020-21 की पहली छमाही में प्रॉफिट दर्ज किया है।
इसके साथ ही सरकारी बैंकों का प्रोविजन कवरेज रेश्यो सितंबर 2020 को 85.09 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया जो कि 8 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई स्तर है। अनुराग ठाकुर के मुताबिक बैंकों की लगातार जारी समीक्षा की वजह से एनपीए को घटाने में मदद मिली है। सरकार ने बैंकों की बैलेंस शीट को सुधारने के लिए साल 2015 में बैंकों की एसेट क्वालिटी रिव्यू को शुरू किया था। उनके मुताबिक एनपीए की पहचान में पारदर्शिता से स्थिति को सुधारने में मदद मिली। उन्होने कहा कि एनपीए की पहचान की वजह से सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए 31 मार्च 2015 के 2.79 लाख करोड़ रुपये के स्तर से बढ़कर 31 मार्च 2018 तक 8.95 लाख करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंच गए। जिसमें अब गिरावट देखने को मिल रही है। सरकारी नीतियों की वजह से एनपीए एक बार फिर घट कर 6.09 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गए।
इसके साथ ही वित्त राज्य मंत्री ने जानकारी दी कि सरकारी बैंकों ने 2020-21 में इक्विटी और बॉन्ड के जरिए 50982 करोड़ रुपये जुटाए हैं। वहीं मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार ने बैंकों को 5500 करोड़ रुपये की मदद की है। अगले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों को 20 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय मदद देने का प्रावधान है।
यह भी पढ़ें: PM Kisan योजना के नियमों में हुआ बदलाव, अब सिर्फ इन किसानों को ही मिलेगी नकद रकम
यह भी पढ़ें:SBI के कार्ड धारकों को देना पड़ सकता है जुर्माना, जानिए बैंक ने नियमों में क्या किया बदलाव