नई दिल्ली। बैंकों की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) यानी कुल फंसा कर्ज और शुद्ध एनपीए मार्च, 2022 के अंत तक घटकर क्रमशः 6.9 से 7 प्रतिशत के बीच और 2.2 से 2.3 प्रतिशत के बीच तक आने का अनुमान है। मार्च 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में यह क्रमशः 7.6 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत था। रेटिंग एजेंसी इक्रा की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए 31 मार्च, 2020 को क्रमशः 8.6 प्रतिशत और 3.0 प्रतिशत थे।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा, "सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए के मार्च, 2022 तक घटकर 6.9 से 7 प्रतिशत और 2.2 से 2.3 प्रतिशत तक आने उम्मीद है। इससे बैंकों के मुनाफे के मोर्चे पर कुछ राहत मिल सकेगी।’’ रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान किसी नियामकीय राहत के अभाव में नए एनपीए का सृजन उच्चस्तर पर बना रहा। अप्रैल-जून तिमाही के दौरान नया एनपीए एक लाख करोड़ रुपये (सालाना आधार पर 4.1 प्रतिशत की दर) रहा। वहीं इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 2.5 लाख करोड़ रुपये या 2.7 प्रतिशत रहा था। इक्रा का अनुमान हे कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 70,000 से 80,000 करोड़ रुपये या 2.8 से 3.2 प्रतिशत रहेगा। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान इसके घटकर 2-2.4 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।
इससे पहले क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बैंकों के ग्रॉस एनपीए चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 9 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं। क्रिसिल के मुताबिक अगर ऐसा होता है, तो यह वित्त वर्ष 2017-18 के अंत के 11.2 प्रतिशत के आंकड़े से काफी कम होगा। एजेंसी के अनुसार कर्ज पुनर्गठन और आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे कोविड-19 राहत उपायों से बैंकों के सकल एनपीए को सीमित रखने में मदद मिलेगी।