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सुपरटेक के 1009 फ्लैटों को सील करने का आदेश

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने कथित रूप से बिना मंजूरी के निर्माण के मामले में सुपरटेक से ग्रेटर नोएडा में 1,000 से अधिक फ्लैटों को सील करने को कहा है।

Dharmender Chaudhary
Published : April 22, 2016 10:20 IST
सुपरटेक के 1009 फ्लैटों को सील करने का आदेश, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बताया अवैध
सुपरटेक के 1009 फ्लैटों को सील करने का आदेश, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बताया अवैध

नई दिल्ली। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने कथित रूप से बिना मंजूरी के निर्माण के मामले में रीयल्टी कंपनी सुपरटेक से ग्रेटर नोएडा में 1,000 से अधिक फ्लैटों को सील करने को कहा है। प्राधिकरण ने सुपरटेक को इस संदर्भ में 11 अप्रैल 2016 को नोटिस दिया था। हालांकि सुपरटेक ने दावा किया कि ग्रेटर नोएडा में 20 एकड़ में फैली आवासीय परियोजना जार के तहत बनी या बन रही सभी 1,853 इकाइयां अनाधिकृत नहीं हैं और पूरी तरह सुरक्षित तथा वैध हैं।

यह दूसरा मौका है जब सुपरटेक को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा है। इससे पहले, अप्रैल 2014 में इलाहबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा में कंपनी की आवासीय परियोजना के दो 40 मंजिला टावरों को गिराने का आदेश दिया था। इस आदेश को सुपरटेक ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। प्राधिकरण ने बिल्डर से मंजूरी प्राप्त 844 इकाइयों के अलावा सभी आवासीय इकाइयों को सील करने को कहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने आगाह किया है कि अगर कंपनी ने 30 दिनों में आवासीय इकाइयों को सील करने में नाकाम रहती है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

वहीं कंपनी ने नोटिस के जवाब में कहा, जहां तक अतिरिक्त इकाइयों के निर्माण का सवाल है। कंपनी ने 23 दिसंबर 2014 की तारीख को लिखे अपने पत्र के जरिए खरीद योग्य एफएआर के लिए आवेदन किया, साथ ही संशोधित बिल्डिंग योजना सौंपी ताकि सभी 1,853 इकाइयों को शामिल किया जा सके। सुपरटेक के अनुसार अनुरोध मौजूदा नियमों तथा प्रावधानों के अंतर्गत किया गया। अतिरिक्त इकाइयां स्वीकार्य सीमा के दायरे में है और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चार अप्रैल 2016 को जारी अधिसूचना के अंतर्गत हैं। कंपनी ने जवाब में कहा कि वह 844 इकाइयों के अलावा अतिरिक्त इकाइयों के लिये लागत का भुगतान करने को तैयार है जो उक्त उत्तर प्रदेश सरकार की अधिसूचना के तहत स्वीकार्य है।

इस बारे में संपर्क किये जाने सुपरटेक के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने कहा, हमने अतिरिक्त एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) खरीदने के लिए 2014 में आवेदन किया था और संशोधित बिल्डिंग योजना सौंपी थी। उन्होंने कहा, बिल्डिंग बाई-लाज के तहत जमा योजना को अगर प्राधिकरण से 60 दिन में न तो खारिज किया जाता है और न ही मंजूरी दी जाती है तो उसे मंजूर माना जाता है। इसीलिए कंपनी ने अतिरिक्त फ्लैटों का निर्माण शुरू किया। इसीलिए कानून के तहत निर्माण वैध है। अरोड़ा ने उम्मीद जतायी कि मामले का जल्दी ही समाधान हो जाएगा और खरीदारों को घबराने की जरूरत नहीं है।

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