नई दिल्ली। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने CFL आधारित सोलर लाइटिंग सिस्टम पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद करने का फैसला किया है। इस कदम का उद्देश्य LED लाइट को बढ़ावा देना है। मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि सीएफएल आधारित सोलर लाइटिंग सिस्टम पर मिलने वाली केंद्रीय वित्तीय सहायता को बंद कर दिया गया है और अब यह सहायता एलईडी आधारित सोलर लाइटिंग सिस्टम पर उपलब्ध कराई जाएगी।
बिजली बिल में होगी सालाना 40 हजार करोड़ रुपए की बचत
विशेषज्ञों ने कहा कि एलईडी के कई फायदे हैं। यह पर्यावरण हितैषी है और इसका जीवनकाल भी सीएफएल की तुलना में ज्यादा है। सीएफएल में मरकरी होती है, जिससे इसको नष्ट करना मुश्किल होता है। डीईएलपी के तहत सरकार 77 करोड़ इनकैनडेसेंट बल्ब को एलईडी बल्ब से बदलना चाहती है। इससे हर साल 20,000 मेगावाट लोड कम होगा, 105 अरब किलोवाट की बिजली की बचत होगी और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन 8 करोड़ टन कम होगा। इतना ही नहीं औसत 4 रुपए प्रति किलोवाट मूल्य पर सालाना 40,000 करोड़ रुपए की बचत बिजली बिल के रूप में होगी।
कम हुई एलईडी की कीमत
डोमेस्टिक एफीशिएंट लाइटिंग प्रोग्राम (डीईएलपी) के तहत सरकार विभिन्न पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के जरिये 3.27 करोड़ एलईडी बल्ब बांट चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी एफीशियंसी सर्विसेस लिमिटेड (ईईएसएल) एलईडी बल्बों की खरीद करती हैं और इनका वितरण डीईएलपी योजना के तहत करती है। जून तक यह 73 रुपए प्रति पीस के आधार पर एलईडी बल्ब की खरीद कर रही है, जिसकी कीमत फरवरी 2014 में 310 रुपए थी। एलईडी की कीमतों में 75 फीसदी की गिरावट आई है।
हाल ही में ऊर्जा, कोयला और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि उनका लक्ष्य प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के जरिये एलईडी बल्ब का खरीद मूल्य 44 रुपए प्रति यूनिट पर लाना है। इसके अलावा सरकार सोलर एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है, जिसमें सोलर एनर्जी से चलने वाले उपकरणों की खरीद पर वित्तीय सहायता शामिल है। भारत ने 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 30-35 फीसदी कटौती करने का लक्ष्य रखा है।