नई दिल्ली। सरकार जल्द ही फर्जी निदेशक पहचान संख्या (डीआईएन) रखने वालों का पता लगाने के लिए उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण शुरू करेगी। कंपनियों के निदेशक मंडल में पात्रता रखने वाले लोगों को यह विशिष्ट संख्या आवंटित की जाती है।
उल्लेखनीय है कि कंपनियों में निदेशकों के लिए 12 लाख से अधिक लोगों ने ही केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों का अनुपालन करते हुए निर्धारित समयसीमा के भीतर जानकारी दी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा कि सिर्फ दो दिन (14 व 15 सितंबर) में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को निदेशक पहचान संख्या धारकों से दो लाख से ज्यादा केवाईसी प्राप्त हुए हैं। केवाईसी जानकारी देने की अंतिम तिथि 15 सितंबर थी।
अधिकारी ने कहा कि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा बनाई गई रजिस्ट्री में करीब 33 लाख सक्रिय डीआईएन हैं, जिसमें करीब 12.15 लाख डीआईएन धारकों ने ही केवाईसी नियमों का अनुपालन किया है। करीब 21 लाख लोग इसके अनुपालन में नाकाम रहे।
अधिकारी के मुताबिक, फर्जी या नकली डीआईएन धारकों की पहचान करने के लिए व्यापक स्तर पर डेटा विश्लेषण किया जाएगा। सरकार उपलब्ध जानकारी का विश्लेषण कर इन फर्जी पहचान संख्या रखने वालों को बाहर करेगी। सरकार की इस पूरी कवायद का मकसद मुखौटा कंपनियों के जरिये अवैध धन प्रवाह को रोकना है।