नई दिल्ली। डालर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट के मद्देनजर सरकार जल्द ही कई गैर-जरूरी वस्तुओं के आयात पर अंकुश लगाने की घोषणा करेगी। वित्त मंत्रालय एक शीर्ष अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने इसके साथ ही पिछले कुछ सप्ताह के दौरान रुपए में आई 10 प्रतिशत गिरावट को अस्थायी रुख बताया।
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव एस सी गर्ग ने यहां पीएचडी चैंबर आफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘डॉलर और रुपये की विनिमय दर का हमेशा प्रभाव रहता आया है। पिछले कुछ सप्ताह के दौरान रुपये में 10 प्रतिशत की जो गिरावट आई है वह अस्थायी है।’’ यह पूछे जाने पर कि सरकार का गैर जरूरी सामान के आयात पर अंकुश लगाने का इरादा कब है जवाब में उन्होंने कहा ‘‘बहुत जल्द’’। हालांकि, उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा नहीं बताई।
पिछले सप्ताह वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू खाते के घाटे (कैड) पर अंकुश तथा रुपये में गिरावट को थामने के लिए विदेशी बाजार से कर्ज जुटाने के नियम सरल किए थे और साथ ही गैर जरूरी वस्तुओं के आयात पर अंकुश लगाने की घोषणा की थी। देश का चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.9 प्रतिशत हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 0.6 प्रतिशत था। चालू वित्त वर्ष में इसके 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह में व्यापार घाटा बढ़कर 80.4 अरब डॉलर हो गया है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 67.3 अरब डॉलर था। रुपये में इस साल करीब 13 प्रतिशत की गिरावट आई है। गर्ग ने भरोसा जताया कि दबाव के बावजूद राजकोषीय घाटे को बजट अनुमान के लक्ष्य पर रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि कैसी भी परिस्थितियां हों राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत के पार नहीं जाने दिया जाएगा। मुद्रास्फीति पर गर्ग ने कहा कि एक विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए चार प्रतिशत मुद्रास्फीति की दर अच्छी चीज है। यह अर्थव्यवस्था के लिए नुकसान की बात नहीं है।
गर्ग ने कहा कि देश की 50 प्रतिशत आबादी अभी कृषि पर निर्भर है। ऐसे में इसमें बदलाव की जरूरत है, जिसके लिए नीतिगत कदम उठाने होंगे। उन्होंने बताया कि सरकार ने कृषि उत्पादों के निर्यात को 30 अरब डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए एक कार्यक्रम तैयार किया है।