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नाराज किसानों को खुश करने का प्‍लान, खरीफ सत्र में धान खरीदने के लिए सरकार खर्च करेगी 1.40 लाख करोड़ रुपए

कृषि सचिव ने कहा कि एमएसपी पर खरीद पहले भी की जा रही थी, अब भी की जा रही है और इसे भविष्य में भी किया जाएगा। किसानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 08, 2020 10:33 IST
Govt to shell out Rs 1.40 lakh cr for procuring paddy at MSP in kharif season- India TV Paisa
Photo:PTI

Govt to shell out Rs 1.40 lakh cr for procuring paddy at MSP in kharif season

नई दिल्‍ली। पूरे देश में किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीद जारी है और एमएसपी पर 156 लाख से अधिक किसानों से 738 लाख टन धान की खरीद के लिए 1.40 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस साल एमएसपी में 125 लाख गांठ कपास खरीदने के लिए लगभग 35,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां तक ​​कि संबंधित एमएसपी पर दलहन और तिलहन की खरीद भी की जा रही है।

प्रदर्शनकारी किसानों को एक स्पष्ट संदेश देने के लिए कि केंद्र का एमएसपी पर खरीद समाप्त करने का कोई इरादा नहीं है, वरिष्ठ अधिकारियों ने खरीफ फसलों की खरीद के लिए उठाए जा रहे कदमों पर बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन को कृषि सचिव संजय अग्रवाल, खाद्य सचिव सुधांशु पांडे, कपड़ा सचिव रवि कपूर और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डी वी प्रसाद ने संबोधित किया। कृषि सचिव ने कहा कि एमएसपी पर खरीद पहले भी की जा रही थी, अब भी की जा रही है और इसे भविष्य में भी किया जाएगा। किसानों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

इस वर्ष खरीफ फसलों का रकबा बढ़कर 401 लाख हेक्टेयर हो गया और भारी खाद्यान्न उत्पादन का भी अनुमान है। उन्होंने कहा कि इस महामारी के दौरान किसानों ने कड़ी मेहनत की है। सरकार एमएसपी दरों पर उनकी फसलों की खरीद के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार 25 अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी तय करती है और उनमें से 14 फसलें खरीफ के मौसम में उगाई जाती हैं। आम तौर पर खरीफ फसलों की खरीद एक अक्टूबर से शुरू होती है।

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अभिन्न रूप से खरीद बंद नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि हम किसानों से सीधे खरीद करते हैं, उन्हें गरीबों को रियायती दरों पर राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि खरीफ धान और अन्य फसलों की एमएसपी-खरीद के लिए सभी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि फसल की शुरुआती आवक के कारण खरीफ धान की खरीद इस साल पहले करनी पड़ी।

उन्होंने कहा कि एफसीआई और राज्य एजेंसियां ​​चालू खरीफ फसल (मौसम) में 738 लाख टन धान (चावल के संदर्भ में 497 लाख टन) की रिकॉर्ड मात्रा की खरीद करने के लिए तैयार हैं, जबकि साल भर पहले 627 लाख टन धान खरीदा गया था। उन्होंने कहा कि पिछले केवल 11 दिनों में धान खरीद में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो बढ़कर 15.26 लाख टन हो गया है, जबकि साल भर पहले की अवधि में यह खरीद 12.38 लाख टन की हुई थी।

पांडे ने कहा कि एमएसपी पर खर्च होने वाली राशि वर्ष 2020-21 खरीफ सत्र में 1,40,078 करोड़ रुपए से अधिक रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की समान अवधि में 1,15,172 करोड़ रुपए था। धान की खरीद इस बार 156.78 लाख किसानों से की जाएगी। सुचारू खरीद सुनिश्चित करने के लिए, एफसीआई प्रमुख ने कहा कि सरकार ने 2020-21 खरीफ विपणन सीजन में खरीद केंद्रों की संख्या को 30,549 से बढ़ाकर 39,130 ​​कर दिया है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान भी, सरकार ने 64.64 लाख किसानों से रबी सत्र के दौरान उगाए गए धान और गेहूं की खरीद की है। इसके अलावा, एमएसपी खरीद ने पिछले कुछ वर्षों में मात्रा और मूल्य दोनों में वृद्धि हुई है।

कपास के संबंध में, कपड़ा सचिव ने कहा कि एक अक्टूबर से कपास की खरीद शुरू हो गई है और हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से अब तक लगभग 2,311 गांठें खरीदी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हम इस साल अधिक कपास उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं। यहां तक ​​कि खरीद लक्ष्य को बढ़ाकर 125 लाख गांठ से अधिक किया गया है। एमएसपी खर्च 35,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।

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