नई दिल्ली। सरकार ने NSEL से सभी मामलों की सुनवाई प्राथमिक आधार पर करने के लिए विशेष अदालत गठित करने का आज फैसला किया। साथ ही प्रवर्तन निदेशालय से चूककर्ताओं से 3,721 करोड़ रुपए की वसूली के लिए कार्रवाई में तेजी लाने और नियामक सेबी से ब्रोकरों की जांच यथाशीघ्र पूरी करने को कहा। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) को बंद पड़े नेशनल स्पाट एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) का उसकी मूल कंपनी FTIL में विलय को प्रभाव में लाने के लिएअदालती मामले को शीघ्रता से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया है।
हाल में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया। बैठक में 5,600 करोड़ रुपए के एनएसईएल भुगतान घोटाला मामले में विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्रवाई की समीक्षा की गई। आधिकारिक बयान के अनुसार बैठक में जो महत्वपूर्ण निर्णय किए गए उसके तहत, शहर के दिवानी अदालत के मनोनीत न्यायाधीश तथा वृहन मुंबई के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को एनएसईएल भुगतान संकट से जुड़े विभिन्न मामलों की सुनवाई अन्य मामलों के अलावा प्राथमिक आधार पर करने के लिए नामित किया गया है।
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बयान में कहा गया है, एनएसईएल से जुड़े मामलों की विशेष रूप से सुनवाई के लिए एक अलग अदालत गठित करने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा सरकार ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से प्रक्रियाओं के तहत कुर्क संपत्ति की बिक्री कर राशि शीघ्रता से प्राप्त करने को कहा गया है।
अबतक ईओडब्ल्यू ने 7,063 करोड़ रुपए की 831 संपत्ति कुर्क की है। इसमें से 6,115 करोड़ रुपए मूल्य की 711 संपत्ति को महाराष्ट्र सरकार के गजट में अधिसूचित किया गया है। बयान के अनुसार महाराष्ट्र सरकार से इन उपायों में तेजी लाने को कहा गया है ताकि चूकर्ताओं को कानून के दायरे में लाया जा सके, कुर्क संपत्ति की बिक्री से रकम प्राप्त की जा सके और एनएसईएल के निवेशकों को लौटा जा सके जिन्हें भुगतान संकट में नुकसान हुआ है। एनएसईएल में 5,600 करोड़ रुपए का भुगतान एवं निपटान संकट 2013 में सामने आया और उसके बाद विभिन्न एजेंसिया इसकी जांच कर रही हैं। ईडी ने एफटीआईएल के प्रवर्तक जिग्नेश शाह को गिरफ्तार किया और उन्हें एक अगस्त 2016 तक न्यायिक हिरासत में भेजा है।
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