नई दिल्ली। सरकार 1,500 करोड़ रुपए के एक कोष की स्थापना करने की प्रक्रिया में है। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) के तहत आने वाली योजनाओं के तहत सौर बिजली संयंत्रों के निर्माताओं को व्यवहार्यता अंतराल कोष (वीजीएफ) जारी होने में देरी टाली जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सरकारी कंपनी सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) 1,500 करोड़ रुपए की भुगतान सुरक्षा प्रणाली (पीएसएम) की स्थापना करेगी ताकि यह सुनिश्चित हो कि जेएनएनएसएम के तहत सौर बिजली संयंत्रों के निर्माताओं को वीजीएफ का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
एक अधिकारी ने कहा, इस कोष में समय-समय पर नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत विभिन्न वीजीएफ योजनाओं के लिए तीन महीने तक के लिए भुगतान के लिए राशि होगी। सरकार की 2022 तक 100 गीगावाट सौर बिजली जोड़ने के लक्ष्य के लिए इस कोष की स्थापना महत्वपूर्ण है। इस कोष में वितरण कंपनियों- राज्य की इकाइयों- थोक उपभोक्ताओं द्वारा एसईसीआई को भुगतान में देरी-चूक आदि को भी कवर किया जाएगा ताकि निर्माताओं को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। एसईसीआई एक अलग फ्लेक्सी बैंक खाता खोलेगी ताकि कोष का सृजन और परिचालन किया जा सके। उस पर बिजली खरीद समझौते के मुताबिक तय समयसीमा में भुगतान करने की भी जिम्मेदारी होगी।
सरकार ने जेएनएनएसएम का दूसरा चरण लागू करने के दौरान वीजीएफ प्रणाली पेश की है जिसमें सौर परियोजनाएं के निर्माताओं का चुनाव पारदर्शी प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिये किया जाएगा ताकि वे सौर बिजली की आपूर्ति पूर्व निर्धारित शुल्क के आधार पर करें। वीजीएफ मॉडल के तहत 750 मेगावाट की पहली योजना का कार्यान्वयन पहले ही किया जा चुका है। मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त में 2000 मेगावाट की ग्रिड से जुड़ी सौर पीवी परियोजनाओं की स्थापना के जिए दूसरी योजना लेकर आई थी। इसके बाद इस साल फरवरी में मंत्रालय द्वारा जेएनएनएसएम के तहत वीजीएफ की मदद से 5,000 मेगावाट के बिजली निर्माण के लिए एक और योजना को मंजूरी मिली।