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मुनाफे वाली सभी कंपनियों को लिस्‍टेड करवाएगी सरकार, बीमार कंपनियों को टैक्‍स राहत दावों की जांच करेगा IT विभाग

सरकार मुनाफे वाली बड़ी व मझौली सार्वजनिक कंपनियों (पीएसयू) द्वारा आईपीओ लाने व शेयर बाजारों में लिस्‍टेड होने के लिए कड़ी समय-सीमा तय करना चाहती है।

Abhishek Shrivastava
Updated : February 15, 2017 18:25 IST
मुनाफे वाली सभी कंपनियों को लिस्‍टेड करवाएगी सरकार, बीमार कंपनियों को टैक्‍स राहत दावों की जांच करेगा IT विभाग
मुनाफे वाली सभी कंपनियों को लिस्‍टेड करवाएगी सरकार, बीमार कंपनियों को टैक्‍स राहत दावों की जांच करेगा IT विभाग

नई दिल्‍ली। सरकार मुनाफा कमा रही बड़ी व मझौली सार्वजनिक कंपनियों (पीएसयू) द्वारा आईपीओ लाने व शेयर बाजारों में लिस्‍टेड होने के लिए कड़ी समय-सीमा तय करना चाहती है। उल्लेखनीय है कि बीते आठ साल में केवल छह पीएसयू ही सूचीबद्ध हुई हैं।

निवेश व लोक आस्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव नीरज गुप्ता ने एक साक्षात्कार में यह जानकारी दी।

  • उन्होंने कहा कि सरकार मुनाफा कमा रही सभी केंद्रीय सार्वजनिक कंपनियों (सीपीएसई) की सूचीबद्धता के प्रति अपने रुख को लेकर पूरी तरह स्पष्ट है।
  • उन्होंने कहा कि इन कंपनियों में ऊंची पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है।
  • सचिव ने कहा कि सीपीएसई को इस दिशा में तैयारी करते हुए तीन साल के लिए खातों का अंकेक्षण व पूर्ण गठित बोर्ड जैसे काम पूरे कर लेने चाहिए।
  • गुप्ता ने हालांकि इन कंपनियों की सूचीबद्धता के बारे में कोई समयसीमा का जिक्र नहीं किया लेकिन एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया में दो-तीन या ज्यादा से ज्यादा तीन साल से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।
  • दीपम के सचिव ने कहा कि आम बजट 2017-18 में सीपीएसई की सूचीबद्ध पर स्पष्ट जोर व निर्देश है।

खस्ता हाल कंपनियों के टैक्‍स राहत दावों की जांच करेगा इनकम टैक्‍स विभाग 

इनकम टैक्‍स विभाग ने अपने आकलन अधिकारियों से कहा है कि वे बीमार कंपनियों की ओर से बायफर की मंजूर पुनर्वास योजना के तहत टैक्‍स में राहत के लिए प्रस्तुत किए गए दावों की जांच करें।

  • बीमार कंपनी अधिनियम 1985 के तहत वित्तीय खस्ताहाली में फंसी कंपनियों के पुनर्गठन के लिए औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड (बायफर) द्वारा मंजूर प्रस्तावों के तहत ऐसी कंपनियां टैक्‍स राहत का दावा कर सकती हैं।
  • इनकम टैक्‍स विभाग ने कहा है कि ऐसी कंपनियों के लिए टैक्‍स राहत अब स्वत: लागू नहीं होगी क्योंकि उपरोक्त अधिनियम 1 दिसंबर 2016 से खत्म किया जा चुका है।
  • विभाग ने सभी प्रधान मुख्य इनकम टैक्‍स आयुक्तों को एक परिपत्र लिख कर कहा है कि आकलन अधिकारी ऐसे दावों की जांच करेंगे, कि कही दावा अनुचित तरीके से तो नहीं किया गया है या राहत गलती से तो नहीं दी गई है।

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